मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के मीसाबंदियों को फिर से सम्मान निधि राशि देने की घोषणा की है. विधानसभा में उन्होंने यह घोषणा की. 2018 में कांग्रेस की सरकार आने के बाद मीसा बंदियों को दी जाने वाली पेंशन पर रोक लगा दी थी.
भाजपा नेता और मीसा बंदियों के संगठन लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रमुख सच्चिदानंद उपासने ने मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद आभार व्यक्त किया है. उपासने ने कहा कि विधानसभा में घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ के मीसाबंदियों में ख़ुशी है.
2019 में जिस सम्मान निधि राशि को प्रदेश की भूपेश सरकार ने बंद कर दिया था, उसे आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विधिवत चालू करने की घोषणा की है. मीसा बंदियों के श्राप के कारण भूपेश सरकार का पतन हुआ है. अब मीसाबंदियों के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इस प्रदेश में लोकसभा के चुनाव में 11 सीटों पर भाजपा को जीत मिलेगी.
प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद आपातकाल में जेल गए मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए उन्हें सम्मान निधि देना शुरू किया गया था. रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल में यह राशि बढ़कर 15 हजार हो गई थी. वही सरकार की घोषणा के बाद मिसाबंदियों में खुशी की लहर है.
25 जून 1975 की आधी रात देशभर में एक अध्यादेश के बाद आपातकाल लगा दिया गया. इस दौरान संविधान के अनुसार दिए गए नागरिक अधिकारों को निलंबित किया गया था. बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून समाप्त कर दिया गया. जिसके बाद गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करने का नियम शिथिल हो गया.
कांग्रेस शासित राज्यों के मीसा कानून में एक लाख सत्ता विरोधी जेल में डाल दिए गए. राज्य में भी उन दिनों कांग्रेस सरकार थी. मीसा का पूरा विवरण बताया गया-मेंटनेन्स ऑफ इन्टरनल सिक्योरिटी एक्ट. मजेदार तो ये था इस गिरफ्तारी को अदालत में चैलेंज भी नहीं किया जा सकता था. इस दौरान मीसा कानून के तहत बंदियों को मीसाबंदी कहा जाता है.