छत्तीसगढ़ में मिली बड़ी हार के बाद कल दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक होगी. इसमें भूपेश बघेल, प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज और प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा को बुलाया गया है. बैठक में हार की समीक्षा के साथ ही नेता प्रतिपक्ष के नाम पर भी चर्चा हो सकती है. वहीं, सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी में संगठन स्तर के बदलाव लोकसभा चुनाव के बाद होंगे.
आपको बता दें कि देश में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होंगे। छत्तीसगढ़ में लोकसभा की कुल 11 सीटें हैं. 11 में से 9 सीटें बीजेपी के पास हैं, तो वहीं बस्तर और कोरबा लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है. फिलहाल कांग्रेस की कोशिश छत्तीसगढ़ में इन सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर ही है.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि फिलहाल जो हालात हैं, उसे देखते हुए संगठन में बदलाव की संभावना बेहद कम है. अब इसी नेतृत्व के साथ लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कांग्रेस पार्टी कर रही है. न तो प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज बदले जाएंगे और न ही प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा के बदले जाने की कोई संभावना है.
कांग्रेस पार्टी के वैसे तो 37 विधायक चुनाव हार चुके हैं, लेकिन अगर बात की जाए वोट प्रतिशत की, तो वो केवल 0.86% ही घटा है. ऐसे में पार्टी के नेता नई रणनीति के साथ जनता के बीच जाना चाहते हैं, ताकि लोकसभा के लिहाज से वोट प्रतिशत बढ़ाया जा सके.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दो तिहाई सीटों पर हारी है. BJP को 54 और कांग्रेस को 35 सीटें मिली हैं. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की है. सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को सरगुजा और रायपुर संभाग में लगा है. यहां सभी सीटें कांग्रेस के हाथ से निकल गईं.
कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए महंगाई और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर जनता तक ले जाने की तैयारी कर रही है. इसके साथ ही बूथवार ट्रेनिंग सेशन भी शुरू किया जाएगा. ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस मजबूत हो, इसके लिए अलग-अलग अभियान भी चलाए जाएंगे.
बीजेपी के सीनियर विधायक अजय चंद्राकर ने X कर लिखा है कि, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लोग हार की समीक्षा के लिए दिल्ली जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली को हार की समीक्षा से ज्यादा रुचि पांच सालों के हिसाब-किताब में रहती है पर शायद कांग्रेस की बैलेंस शीट फरार है.