छत्तीसगढ़ के एकमात्र शासकीय डेंटल कालेज रायपुर में जल्द ही डेकेयर सर्जरी शुरू होगी. इसके लिए प्रस्ताव बनाकर राज्य शासन को भेज दिया गया है, जिसकी मंजूरी जल्द मिलने की उम्मीद है. डेकेयर सर्जरी के सफल होने के बाद IPD शुरू होगी.
प्रबंधन का कहना है कि डेंटल कॉलेज में विशेषज्ञ तो हैं लेकिन मरीजों की देखरेख व अन्य कामों के लिए कर्मचारी नहीं है. उपकरण खरीदी की अनुमति मिल चुकी है, जो CGMSC द्वारा की जाएगी. डेकेयर सर्जरी के लिए रात भर अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं होती है. डेकेयर प्रक्रिया के लिए रोगी को उसी कैलेंडर दिन में भर्ती कर ऑपरेशन किया जाता है और उसी दिन छुट्टी भी दे दी जाती है. आमतौर पर चार से छह घंटे रुकने की आवश्यकता होती है.
गौरतलब है कि डेंटल कॉलेज में 22 वर्षों के बाद भी IPD की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है. पीजी शुरू होने और पिछले वर्ष स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के 20 बिस्तरों की IPD शुरू करने के निर्देश के बाद उम्मीद जगी थी, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है. IPD का केस आने पर मरीजों को बाहर या आंबेडकर अस्पताल में जाने को मजबूर होना पड़ता है. डेंटल कॉलेज में राजधानी समेत दूसरे जिलों से रोजाना 400 से अधिक मरीज OPD में जांच और इलाज कराने के पहुंचते हैं, जिसमें से कइयों को IPD की जरूरत पड़ती है.
डेंटल कॉलेज में IPD की सुविधा के लिए 20 बिस्तरों का वार्ड तैयार हैें. सबसे ज्यादा समस्या एनेस्थेटिस्ट की है, जिसके लिए कॉलेज प्रबंधन को मशक्कत करनी पड़ रही है. कॉलेज प्रबंधन की ओर से एनेस्थेटिस्ट की भर्ती के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा था. विभाग ने बाहर से एनेस्थेटिस्ट बुलाकर सर्जरी शुरू करने के निर्देश दिए हैं.
रायपुर शासकीय डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वीरेंद्र वाढ़ेर ने कहा, डेंटल कॉलेज में IPD शुरू करने के लिए प्रयास किया जा रहा है. सबसे पहले डेकयर सर्जरी शुरू होगी, उसके बाद IPD संचालित होगी. शासन के पास प्रस्ताव तैयार कर भेज दिया गया है. सर्जरी के बाद मरीज की देखरेख के लिए स्टाफ की जरूरत पड़ती है.
डेंटल कॉलेज के आर्थो डोन्टिक्स, कन्जरवेटिव डेन्टिस्ट्री और प्राेस्थोडोन्टिक्स में पीजी की स्थायी सीटों की मान्यता के लिए DCI (डेंटल काउंसिल आफ इंडिया) की टीम 31 जुलाई और एक अगस्त को निरीक्षण करेगी. वर्तमान में पेरियोडोन्टिक्स, ओरल सर्जरी और ओरल मेडिसिन रेडियोलाजी में पीजी की स्थायी मान्यता है. स्थायी मान्यता मिलने पर सीटें पांच वर्षों के लिए सुरक्षित हो जाती है. डेंटल कॉलेज के 9 विभागों में पीजी की 26 सीटें हैं. प्राेस्थोडोन्टिक्स, कन्जरवेटिव डेन्टिस्ट्री, ओरल पैथालाजी, आर्थो डोन्टिक्स, ओरल सर्जरी, पेरियोडोन्टिक्स, पिडोडोन्टिक्स और पब्लिक हेल्थ डेन्टिस्ट्री में तीन-तीन और ओरल मेडिसिन रेडियोलाजी में दो सीटें हैं. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि Phd के लिए भी प्रयास किया जा रहा है.