दुर्ग संभाग को लंबे इंतजार के बाद फॉरेंसिक लैब मिल गई है. इस लैब के खुल जाने से अब पुलिस और न्यायालय के काम में तेजी आएगी. लैब का उद्घाटन मंगलवार को सेक्टर-4 में किया गया. इस दौरान दुर्ग सांसद विजय बघेल, राजनांदगांव-दुर्ग IG और SSP सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
फोरेंसिक लैब के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. टीएल चंद्रा ने बताया कि ये प्रदेश की चौथी फॉरेंसिक लैब है. लैब उनकी सुपरवीजन में संचालित होगी. यहां के हेड डॉ. पकंज ताम्रकर होंगे. इस लैब के शुरू होने से अब तक पुलिस को केस के निकाल में जो लैब टेस्ट रिपोर्ट और बिसरा रिपोर्ट के लिए कई-कई महीनों का इंतजार करना पड़ता था, वो 1-2 हफ्ते में ही मिल जाएगी.
डॉ. चंद्रा ने बताया कि यह फॉरेंसिक लैब दुर्ग और राजनांदगांव संभाग को कवर करेगी. यहां दुर्ग सहित राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा, कवर्धा, खैरागढ़ -गंडई-छुईखदान और मानपुर -मोहला जैसे जिलों के थानों और चौकियों से सैंपल टेस्ट के लिए आएंगे. अब तक ये सभी मामले रायपुर FSL भेजे जाते थे.
इससे वहां काम का बोझ काफी बढ़ गया था. दुर्ग की लैब शुरू होने से वहां की पेंडेंसी में भी कमी आएगी. फॉरेंसिक लैब के प्रभारी डॉक्टर पंकज ताम्रकार ने बताया कि यहां नई और हाइटेक जांच मशीनें मंगाई गई हैं. जिससे क्राइम से निपटने के लिए समय कम लगेगा.
न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला दुर्ग में लगभग सवा करोड़ रुपए कीमत की वेशेष स्लाइड स्कैनर विथ स्पर्म डिटेक्शन सॉफ्टवेयर (CASA) मंगाया गया है. इस मशीन में रेप से संबंधित 6 केस के स्लाइड की जांच एक साथ की जा सकेगी. कुछ मिनट में यह सैंपल में शुक्राणु की उपस्थिति को बता देगा.
मानव शुक्राणु की कम समय में जांच होने से रेप केस की पुष्टि करने और आरोपी को पकड़ने में मदद मिलेगी. उसे जल्द से जल्द मामले में सजा भी दिला जा सकेगी.
लैब में लगभग 1 करोड़ रुपए की कीमत की UV 3092 UV विजिबल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर मशीन भी लाई गई है. इस मशीन के सहारे विसरा, बॉडी फ्लूड्स और अन्य सैंपल में विष की मौजूदगी का पता लगाया जा सकेगा. धात्विक विष की जांच की जा सकेगी. नारकोटिक्स और साइकोट्रॉपिक ड्रग्स की जांच हो पाएगी.
शराब में हानिकारक तत्वों की पहचान हो पाएगी. बर्निंग के केस में ज्वलनशील पदार्थों की पहचान की जा सकेगी. एंटी करप्शन के केस में डाई की जांच की जा सकेगी. विस्फोटक पदार्थों और GSR पार्टिकल की जांच की जा सकेगी.
लैब में एक ब्रुकर अल्फा 2 FT IR स्पेक्ट्रोफोटोमीटर नाम की भी मशीन लाई गई है. इस मशीन के जरिए नारकोटिक्स और साइकोट्रॉपिक ड्रग की जांच की जा सकेगी. शराब में हानिकारक तत्वों की जांच हो पाएगी. घटना स्थल में मिले ब्लड स्टेन की जांच होगी. पॉलीमर, लुब्रिकेंट्स आदि की भी जांच करेगी.