छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देशित किया है कि पहले जारी अधिसूचना को निरस्त कर EOW को RTI के दायरे में शामिल करें.
डिवीजन बेंच ने कहा कि भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन की सूचना देने वाली संस्था को इस तरह से RTI के दायरे से अलग नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने 8 साल पहले प्रस्तुत याचिकाकर्ता के आवेदन पर जानकारी देने के लिए कहा है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 नवंबर 2006 को अधिसूचना जारी कर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सूचना के अधिकार पर जानकारी देने से मुक्त किया था. इस अधिसूचना को RTI एक्टिविस्ट राजकुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
इसमें कहा गया था कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा 4 में उल्लेख है कि भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने से किसी भी संस्था को मुक्त नहीं किया जा सकता. छत्तीसगढ़ सरकार की यह संस्था राज्य में भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों की ही जांच करती है. इस तरह इस संस्था को सूचना के अधिकार से मुक्त नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट के नोटिस पर राज्य सरकार ने जवाब पेश किया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए राजकुमार मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी. मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देशित किया था कि फिर से केस की सुनवाई करे. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के आधार पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिका की सुनवाई शुरू की.
सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए EOW को RTI के दायरे में लाने के लिए राज्य शासन को निर्देश जारी किया है. हाईकोर्ट ने शासन की अधिसूचना को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के हनन से संबंधित सूचना देने वाली संस्था को इस तरह से RTI से मुक्त नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने आदेश जारी होने के 3 सप्ताह के भीतर राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना में आवश्यक संशोधन कर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने का आदेश दिया है.
दरअसल, याचिकाकर्ता राजकुमार मिश्रा ने 15 नवंबर 2016 को सूचना के अधिकार के तहत EOW में आवेदन पेश किया था, जिसमें उन्होंने उन मामलों के बारे में जानकारी मांगी थी, जहां अधिकारियों, कर्मचारियों और राजनेताओं के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी 3 महीने से अधिक समय से लंबित थी.
लेकिन EOW ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया था और संस्था को RTI से मुक्त रखने की जानकारी दी थी. केस की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने EOW को आदेशित किया है कि ऑर्डर जारी होने के 4 सप्ताह के भीतर वर्तमान परिस्थिति में याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी दी जाए.