छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से दो वर्ष पहले प्रदेश की पहली फिल्म नीति बनाई गई थी. लेकिन अभी तक उसका क्रियान्वयन नहीं हो सका. इन दो वर्षों में प्रदेश में 20 से ज्यादा छॉलीवुड सहित अन्य फिल्मों की शूटिंग हुई. नियम-कानूनों में ऐसी उलझन है कि अभी तक किसी को अनुदान नहीं मिला है. निर्माता-निर्देशक अनुदान के लिए आवेदन ही नहीं कर पा रहे हैं. फिल्म नीति का क्रियान्वयन करने के लिए संस्कृति विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है. संस्कृति विभाग अभी तक फिल्म नीति के बारे में स्पष्ट नियम नहीं बता पा रहे हैं.
विभाग की तरफ से अनुदान की अनुशंसा करने वाली कमेटी भी गठित नहीं की गई है. अनुदान के लिए बहुत सारे नियम-उपनियम है, जिसके बारे में विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को ही स्पष्ट जानकारी नहीं है. शूटिंग के अलावा सिनेमा हॉल बनाने, फिल्म शूटिंग से संबंधित सामान खरीदने पर भी अनुदान देने का प्रावधान है, लेकिन अभी तक किसी को मिला नहीं. फिल्म नीति में प्रदेश में बनी छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर 33 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान है.
दूसरी भाषाओं की फिल्म भी यहां के लोकेशन पर बनती है तो उन्हें भी 25 प्रतिशत अनुदान मिलेगा. धारावाहिक निर्माण पर 50 लाख रुपए तक की सब्सिडी मिलेगी. वहीं, वेब प्लेटफार्म के लिए बन रही किसी फिल्म की 75 प्रतिशत से अधिक शूटिंग छत्तीसगढ़ में हुई तो सरकार एक करोड़ रुपए की सहायता करेगी. फिल्म निर्माण में प्रदेश के कलाकारों और तकनीशियनों को मौका देने पर 25 लाख रुपए की सहायता भी मिलेगी.
नई नीति के तहत प्रदेश में सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल खोलने वालों को 15 लाख रुपए तक की मदद मिलेगी. मल्टीप्लेक्स के लिए सहायता राशि 50 लाख रुपए तक होगी. किसी बंद पड़े सिनेमा हॉल को मरम्मत और रिनोवेशन के लिए भी सरकार 10 लाख रुपए तक देगी.
फिल्म नीति में सिनेमा निर्माण के तकनीकी पक्ष पर भी जोर है. स्थानीय फिल्म उद्योग को मदद पहुंचाने के लिए सरकार ने फिल्म निर्माण के उपकरणों की खरीदी में भी मदद का हाथ बढ़ाया है. कहा गया है, फिल्म निर्माण संबंधी उपकरणों की खरीदी पर सरकार 15 प्रतिशत सब्सिडी देगी.
छत्तीसगढ़ की यह फिल्म नीति पांच राज्यों की फिल्म नीति का अध्ययन करने के बाद बनी है. इसके लिए तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और झारखंड की फिल्म नीति का अध्ययन किया गया है. दावा है कि छत्तीसगढ़ की फिल्म नीति इन पांचों से बेहतर मदद का प्रावधान करती है.