महासमुंद के लाफिनकला गांव में एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी. परिजनों का कहना है कि मृतक की जेब से सुसाइड नोट मिला, जिसे पुलिस ने ग्रामीणों के सामने पढ़कर सुनाया. सुसाइड नोट में फिंगेश्वर पुलिस पर चोरी के मामले को रफादफा करने के लिए एक लाख रुपए की मांग करने का जिक्र है. इसके अलावा 20 हजार अलग से देने को कहा गया.
राजाराम निषाद (42) की लाश रविवार सुबह पेड़ पर लटकी मिली थी. जिसके बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना महासमुंद पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को नीचे उतारा और जेब की तलाशी ली तो ये सुसाइड नोट मिला था.
राजाराम की पत्नी सावित्री निषाद ने बताया कि पति का जब से चोरी के केस में नाम आया, तब से वह परेशान रहने लगा था. उसके मुताबिक सरपंच सहित गांव के मुखिया एक सप्ताह पहले फिंगेश्वर थाना गए थे. उस दिन पुलिस राजाराम को थाने के अंदर ले गई और पूछताछ के बाद उसकी जमकर पिटाई की थी. उसके शरीर पर चोट के कई निशान थे.
20 नवंबर 2023 को फिंगेश्वर थाना क्षेत्र के ग्राम लचकेरा निवासी दशरथ सिन्हा के घर चोरी हुई थी. दशरथ सिन्हा के बेटे ने शक के आधार पर राजाराम निषाद का नाम लिया था. फिर फिंगेश्वर थाने के हेड कांस्टेबल दिलेश्वर बघेल ने राजाराम को थाने चलने को कहा. लाफिनकला के सरपंच पति सहित गांव के 10-12 मुखिया और लचकेरा के सरपंच उदय निषाद थाना पहुंचे.
आरोप है कि राजाराम को थाने के अंदर ले जाकर पूछताछ के बहाने जमकर पीटा गया. फिंगेश्वर पुलिस बिना FIR दर्ज चोरी के केस में सौदेबाजी करने लगी और राजाराम निषाद से एक लाख रुपए मांगी गई. महासमुंद सिटी कोतवाली प्रभारी नरेन्द्र राठौड़ ने बताया कि राजाराम ने चोरी की थी. बाहरी समझौते के तौर पर पीड़ित को 20 हजार रुपए देना था. इसके पहले आत्महत्या कर ली.
वहीं फिंगेश्वर थाना प्रभारी जीतेंद्र विजयवार ने एक लाख रुपये मांगने और चोरी की रकम 20 हजार अलग देने वाले आरोप पर पल्ला झाड़ लिया. उनके मुताबिक मामले में अभी कोई FIR दर्ज नहीं है. मंजुलता बाज, SDOP महासमुंद के मुताबिक मामले सुसाइड नोट में फिंगेश्वर पुलिस का जिक्र है. जांच के बाद ही असल वजह सामने आएं.
राजाराम निषाद के पीछे उसकी पत्नी, 3 बेटियां और 1 बेटा है, जिनके सिर से अब पिता का साया उठ गया है. ग्रामीणों के अनुसार राजाराम के पास चार एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें खेती किसानी किया करता था. इसके अलावा मछली पालन के लिए गांव का तालाब ठेके पर ले रखा था. नदी भी ठेके पर लिया था, जिससे उसकी अच्छी खासी आमदनी होती थी. इसके बावजूद चोरी का आरोप ग्रामीणों के गले नहीं उतर रहा.