घरों में अकेले रहनेवाले अशक्त बुजुर्गों और कामकाजी महिलाओं के छोटे बच्चों की देखभाल अब महिला स्वसहायता समूहों की दीदियां करेंगी. सेवाएं लेने के लिए छत्तीसगढ़ में पहली बार हेल्पलाइन नंबर 8827013820 जारी किया जा रहा है, जो केवल बुजुर्गों और बच्चों के लिए ही होगा. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह प्रयोग सबसे पहले रायपुर में किया जाएगा.
इसका कंट्रोल रूम जिला पंचायत परिसर में होगा और एक पूरी टीम काम करेगी. बुजुर्गों की देखरेख और बच्चों को संभालने के लिए दीदियों को नर्सिंग की हल्की-फुल्की ट्रेनिंग के साथ-साथ कुकिंग, सेलून, लांड्री, कैटरिंग सर्विस, एकाउंटेंसी जैसे प्रशिक्षण भी दिए जाएंगे. हेल्पलाइन नंबर से इनकी सेवाएं ली जा सकेंगी.
इस प्रयोग का कांसेप्ट यह है कि दौड़-भाग की जिंदगी में बुजुर्ग माता-पिता और बच्चों की देखभाल करना कामकाजी लोगों के लिए चुनौती बन गया है. बच्चों की देखभाल करने के लिए महिलाओं को करियर से समझौता करना पड़ रहा है. पति-पत्नी दोनों कामकाजी हों तो बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल नहीं कर पा रहे हैं. बहुत से बच्चे नौकरी-कामकाज के कारण दूसरे शहरों, राज्यों और विदेशों में रहते हैं. उनके बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए यहां कोई नहीं है.
इसीलिए जिला पंचायत ने स्व सहायता समूह की महिलाओं को ट्रेनिंग देनी शुरू की है. इसके लिए अब तक 700 दीदियों ने जिला पंचायत में रजिस्ट्रेशन करवाया है. पंचायत के अफसरों कहते हैं कि इससे लोगों को भी राहत होगी और महिलाओं को रोजगार भी मिल जाएगा.
अभी रायपुर जिले में कुल 11785 महिला समूह है. इसमें कुल स्वसहायता समूहों की 1 लाख 27 हजार दीदियां शामिल हैं. ये उच्चस्तरीय संगठन, 515 ग्राम संगठन एवं 16 प्रकार के अलग-अलग क्लस्टर में काम कर अपना घर चला रही हैं. इनमें से कुछ के NIT जैसे संस्थानों में कैंटीन हैं. यह सही है कि वे अभी तक बुजुर्गों और बच्चों की देखरेख, च्वाइस सेंटर, सैलून, लांड्री, कुक, हाउसकीपिंग, गार्डनर, कैटरिंग सर्विस, अकॉउटेंट, कंप्यूटर आपरेटर के तौर पर काम नहीं कर रही हैं. इसीलिए इन्हें ट्रेंड किया जाएगा.
प्रशासन इन दीदियों की फीस वर्तमान में प्रचलित दर के अनुसार रखेगा. इसके लिए कमेटी बन रही है, जो फीस तय करेगी. अफसरों की माने तो प्रारंभिक तौर पर 5 हजार लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखा गया है. इन्हीं दीदियों से संपर्क करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया जा रहा है, ताकि जरूरतमंद लोग संपर्क कर सकें. इस नंबर पर वाट्सएप भी रहेगा. अधिकारी इसमें चैट बोर्ड डेवलप करवा रहे हैं.
इस नंबर पर फोन या चैट पर हाय लिखते ही सर्विस के संबंध में सारी जानकारी मोबाइल पर आएगा. जिस सर्विस की जरूरत होगी, उसे सेलेक्ट कर सबमिट करना होगा. उसके बाद कार्यालय में बैठा स्टॉफ उस नंबर पर फोन करके ग्राहक के बारे में जानकारी लेगा. फिर सर्विस प्रोवाइडर और ग्राहक के बीच अनुबंध होगा कि उनको कितने दिन की जरूरत है अनुबंध पर शर्तें लिखी रहेंगी. प्रशासन की सहमति के बाद उसे जिसकी जरूरत होगी वह उपलब्ध करवा दिया जाएगा.