छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में बस और टैक्सी से सफर करने वाली महिलाओं को बहुत जल्दी पैनिक बटन की सुविधा मिलेगी. आपातकालीन या छेड़खानी की स्थिति में बटन दबाते ही पुलिस की गाड़ी मदद के लिए पहुंचेगी साथ ही गाड़ी की पूरी कुंडली पुलिस कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी. महिला सुरक्षा के मद्दनेजर सार्वजनिक परिवहन की सुविधा प्रदान करने वाले वाहनों में पैनिक बटन लगाने की योजना अंतिम चरणों में हैं. एक महीने के भीतर वाहनों में इस सुविधा की शुरूआत करने का लक्ष्य रखा गया है.
छत्तीसगढ़ सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (चिप्स) के सीईओ अभिताभ शर्मा ने बताया कि साफ्टवेयर तैयार कर लिया है, जिसका इंटीग्रेशन डायल 112 और पुलिस कंट्रोल रूम से किया जाएगा. पैनिक बटन के लिए परिवहन विभाग ने तीन महीने पहले ही टेंडर जारी कर दिया था. इसके लिए ₹15.40 करोड़ का बजट रखा गया है, जिसमें केंद्र सरकार से भी वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. निर्भया फंड के लिए केंद्र सरकार से ₹4.19 करोड़ की राशि राज्य सरकार को दो वर्ष पहले ही प्राप्त हो चुकी है. सहायक परिवहन आयुक्त, शैलाभ साहू साफ्टवेयर तैयार है, पुलिस विभाग के साथ इंटीग्रेशन पर काम जारी है.
नईदिल्ली में 12 दिसंबर 2012 को निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने निर्भया फंड की घोषणा की थी, जिसमें सार्वजनिक वाहनों में पैनिक बटन के माध्यम से आपातकालीन स्थिति में मदद के लिए पुलिस सहायता प्रदान करने की योजना बनाई गई थी. योजना की शुरूआत 2019 से होनी थी. राज्य सरकार ने 2021 में प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया, जो कि अब जाकर पूरा होते दिखाई दे रहा है. अभी टैक्सी और बस में पैनिक बटन लगाया जाएगा. योजना की लांचिंग की तारीख के लिए परिवहन विभाग ने राज्य सरकार को चिठ्ठी लिखी है.
राजस्थान में नए वाहनों के पंजीयन के पहले पैनिक बटन की अनिवार्यता कर दी गई है. देश के अन्य राज्यों के सार्वजनिक वाहनों में भी पैनिक बटन का विकल्प दिया जा रहा है. मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में शुरूआत की गई है. प्रदेश में बसों में GPS लगाना था, लेकिन अभी तक नहीं लग पाया है.