अवमानना याचिका के घेरे में फंसे पुलिस विभाग के दो अफसरों ने तय समय सीमा के भीतर प्रकरण का निराकरण ना करने के लिए माफी मांगी. अफसरों ने अपने अधिवक्ता के जरिए कोर्ट को बताया कि उनके निर्देश का परिपालन कर दिया गया है. अफसरों द्वारा माफी मांगने के बाद कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है.
पुष्पेन्द्र सिंह सेंगर एवं 35 अन्य याचिकाकर्ताओं की वर्ष 2010 में पुलिस विभाग में हेड कांसटेबल (नर्सिंग) एवं सहायक प्लाटून कमांडर (APC) नर्सिंग के पद पर नियुक्ति हुई थी. वर्ष 2010 से वे नियुक्त पदों पर कार्य कर रहे थे. कोई प्रमोशनल चैनल ना होने के कारण छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर गुहार लगाई थी. मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 26 नवम्बर 2019 को गृह सचिव एवं DGP को याचिकाकर्ताओं के प्रमोशन चैनल मामले का छह माह के भीतर निराकरण करने निर्देश जारी किया था.
परन्तु निर्धारित छह माह से अधिक की समयावधि बीत जाने के पश्चात् भी हाई कोर्ट के आदेश का पालन ना होने पर पुष्पेन्द्र सिंह सेंगर एवं अन्य याचिकाकर्तागण द्वारा अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं गीता देबनाथ के माध्यम से अवमानना याचिका दायर की. याचिकाकर्ता ने आला अफसरों पर हाई कोर्ट के निर्देश के परिपालन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था. अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रत्येक शासकीय सेवा में कर्मचारियों एवं अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने उन्हें उत्साहित करने एवं कार्य में निरंतर रूचि बनाए रखने हेतु उच्च पदों पर प्रमोशन का प्रविधान किया गया है. परन्तु उनके मामले में गृह सचिव एवं DGP द्वारा हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है.
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पांडेय ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा समय सीमा के भीतर हाई कोर्ट के आदेशों का पालन ना किये जाने से लगातार अवमानना याचिका प्रस्तुत करनी पड़ रही है. अवमानना याचिकाओं की सुनवाई से हाई कोर्ट का कीमती एवं महत्वपूर्ण समय व्यर्थ होता है. याचिकाकर्तागण के मामले में भी पूर्व गृह सचिव एवं DGP द्वारा एक वर्ष विलंब से हाई कोर्ट के आदेश पालन किया गया है. उक्त मामले में हाई कोर्ट के आदेश का विलंब से पालन के लिये पूर्व गृह सचिव सुब्रत साहू एवं पूर्व DGP D.M अवस्थी द्वारा क्षमायाचना के पश्चात् उक्त अवमानना याचिका को निराकृत कर दिया है.