200 करोड़ रुपए के ग्रीन बांड जारी करने के लिए नगर निगम ने शुरुआती तैयारियां पूरी कर ली है. ये बांड बैंक, पोस्ट ऑफिस, डीमैट खाते, नेट बैंकिग और नगर निगम कार्यालय से खरीदे जा सकेंगे. इस पर निगम 9 प्रतिशत तक ब्याज दे सकता है. इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है. अलबत्ता ग्रीन बांड से प्राप्त होने वाली रकम कहां खर्च की जाएगी इसका पूरा प्लान तैयार कर लिया गया है.
डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन बांड से प्राप्त होने वाले पैसों से निगम ईदगाहभाठा के हिंद स्पोर्टिंग मैदान और निगम की पुरानी बिल्डिंग की जगह पर बड़ा कॉम्प्लेक्स बनाएगा. भैंसथान के प्राइम लोकेशन पर भी व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाकर वहां की दुकानें भी किराये पर दी जाएंगी. इसके अलावा शहर में E बस और तालाबों में STP लगाकर उसमें से होने वाली आय से निवेशकों को ब्याज दिया जाएगा.
बांड की निर्धारित समय सीमा पूरी होने पर पैसे लौटाए जाएंगे. इन सब की भी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. इन्हीं प्रोजेक्ट के आधार पर नगर निगम आम लोगों और निवेशकों को बॉन्ड खरीदने का प्रस्ताव देगी. जिस एजेंसी के माध्यम से ग्रीन बॉन्ड जारी करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी वह भी चुन ली गई है.
ग्रीन बांड जारी करने के लिए समिति का चयन कर लिया गया है. इसके अलावा रकम जुटाने और निवेशकों के हितों का ध्यान रखने के लिए तीसरे पक्ष यानी निरीक्षक समिति भी तय कर ली गई है. अब नगर निगम पूरी योजना राज्य शासन के सामने रखेगा. वहां से मंजूरी मिलते ही ग्रीन बॉन्ड जारी किया जाएगा. ग्रीन बांड के लिए 2023-24 के बजट में प्रावधान किया गया था.
इन पैसों से ईदगाह भाठा-हिंद स्पोर्टिंग ग्राउंड, नगर निगम कार्यालय जयस्तंभ चौक व भैंसथान में बड़े व्यावसायिक संस्थान बनाकर उन्हें किराये पर दिया
जाएगा. इसके अलावा चंदनीडीह, निमोरा और कारा में STP बनाकर गंदे पानी को साफ कर उद्योगों को बेचेंगे. इसके अलावा E-बस चलाकर उसके माध्यम से राजस्व इकट्ठा किया जाएगा. इसका पूरा प्लान अब तैयार कर लिया गया है.
ग्रीन बांड से मिलने वाले पैसों से निगम जितने प्रोजेक्ट लांच करेगा उससे हर साल कम से कम 60 करोड़ रुपए जुटाने होंगे. प्रोजेक्ट पूरे होने और उससे आय मिलने में देरी होने पर नगर निगम के लिए बॉन्ड पर ब्याज देने का भार बढ़ जाएगा. इसलिए निगम को बॉन्ड जारी होने के बाद योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करना होगा.
जानकारों का कहना है कि 200 करोड़ के बांड्स पर नगर निगम को हर साल न्यूनतम 8.5 से 9 प्रतिशत ब्याज ऑफर करना होगा, क्योंकि निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलने पर ही वे बांड खरीदेंगे. 200 करोड़ पर 9 प्रतिशत ब्याज यानी हर साल 18 करोड़ ब्याज की व्यवस्था करनी होगी. यदि निगम बांड को 5 साल के लिए जारी करता है तो 5 साल बाद 200 करोड़ जुटाने के लिए हर साल 40 करोड़ रुपए रिजर्व करने होंगे. इस तरह निगम को प्रोजेक्ट्स से कम से कम हर साल 58 करोड़ रुपए जुटाने होंगे.
ग्रीन बॉन्ड पर्यावरण की सुरक्षा और हरियाली विकसित करने के उद्देश्य से जारी किया जाता है. बॉन्ड से मिलने वाले पैसे का उपयोग इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए योजनाओं पर खर्च किया जाता है. इसलिए इसे ग्रीन बॉन्ड नाम दिया गया है. इंदौर में भी नगर निगम की ओर से जारी बॉन्ड का नाम ग्रीन बॉन्ड रखा गया है. यहां चूंकि उसी तर्ज पर बॉन्ड जारी किया जा रहा है. इसलिए यही नाम तय किया गया है.
इंदौर नगर निगम ने फरवरी 2023 में सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए ग्रीन बॉन्ड जारी किया था. 244 करोड़ के ग्रीन बॉन्ड को निवेशकों ने हाथों-हाथ लिया और 3 दिन में ही बॉन्ड की संख्या से कई गुना ज्यादा आवेदन मिल गए. रकम जुटाने के बाद इंदौर नगर निगम को जलूद में सोलर प्लांट स्थापित करना था.
सालभर बीतने के बाद भी सोलर प्लांट का काम शुरू नहीं हो पाया है. इंदौर निगम ने कुछ दिन पहले ही इसके लिए कंपनी चयन किया और अब वहां काम शुरू किया जाएगा. इसे पूरा होने में कम से कम सालभर लगेगा. इंदौर निगम को ब्याज के लिए पैसे जुटाने में मशक्कत करनी पड़ रही है. रायपुर नगर निगम को भी ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए पुख्ता तैयारी करनी होगी.
महापौर रायपुर, एजाज ढेबर ने बताया कि ग्रीन बॉन्ड के लिए तैयारियां की जा रही है. सभी जरूरी अनुमति मिल चुकी हैं और कुछ प्रक्रिया बाकी है. इसके बाद राज्य शासन से मंजूरी मिलते ही बॉन्ड जारी करने की प्रक्रिया की जाएगी.