डेंगू में राजधानी में मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. स्कूलों में बच्चों को जागरुक करने के लिए गाइड लाइन जारी कर दी गई है. प्रार्थना के दौरान और कक्षाओं में टीचर बच्चों को डेंगू क्या है? ये बताने के साथ इसके खतरे और बचाव के उपाए बताएंगे. बच्चों के माध्यम से डेंगू के खतरे का संदेश घर-घर पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा. अंबेडकर अस्पताल और जिला अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बना दिया गया है.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी गाइड लाइन का पालन सरकारी के अलावा प्राइवेट स्कूलों को भी करना होगा. यानी सरकारी स्कूल के बच्चों के साथ-साथ प्राइवेट स्कलों में भी प्रार्थना या सभा के दौरान टीचर बच्चों को डेंगू के मच्छरों से लेकर इसके इलाज तक की जानकारी देंगे. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी गाइड लाइन में स्कूलों की खिड़कियों में संभव होने पर जाली लगाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि मच्छरों से बच्चों का बचाव हो सके.
अंबेडकर अस्पताल और जिला अस्पताल में 30-30 बेड के दो वार्ड डेंगू मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारियों को निर्देश जारी डेंगू मरीजों के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतें. डेंगू पीड़ितों का इलाज ऐसे अस्पतालों में ना करें जहां फिजिशियन ना हो.
अभी शहर में वायरल फीवर फैला है. राज्य महामारी नियंत्रण प्रभारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने कहा है कि तीन दिन होने के बाद भी अगर बुखार नहीं उतर रहा है तो घर पर रहकर इलाज ना कराएं. ऐसी स्थिति में अस्पताल में भर्ती होकर टेस्ट करवाना ही बेहतर होगा. डेंगू में दवा लेने से बुखार उतर जाता है इसलिए लोग घर पर रहकर इलाज करवाते हैं. लेकिन तीन दिन से ज्यादा समय इंतजार नहीं करना चाहिए.