रायपुर में इस साल डेंगू मरीजों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. अंबेडकर अस्पताल में पिछले एक हफ्ते से रोज 4-5 मरीज भर्ती हो रहे हैं. केवल अगस्त के महीने में करीब 70 मरीज भर्ती हो चुके हैं. निजी अस्पतालों में भी करीब 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा चुका है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन आंकड़ों को नहीं मान रहा है.
विभाग के रिकॉर्ड में अब तक मात्र 4 मरीज ही डेंगू पॉजिटिव मिले हैं. इसी आंकड़े के कारण स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन, नगर निगम किसी ने भी डेंगू की रोकथाम, कारणों की पड़ताल, मरीजों की ट्रेसिंग जैसा कुछ भी नहीं किया. जबकि यह बीमारी एक मरीज से दूसरे मरीज में फैलने वाली है. जिले की स्वास्थ्य विभाग की टीम अब तक डेंगू के सिर्फ चार मरीज मिलने के अधिकृत आंकड़ों के कारण बेपरवाह है. यही वजह है कि अब तक मरीजों की ट्रेसिंग शुरू नहीं की गई है.
एक भी मरीज की हिस्ट्री चेक नहीं की गई है कि उन्हें डेंगू क्यों हुआ?जबकि अस्पताल के कुछ मरीजों की हिस्ट्री चेक करने से पता चला है कि ज्यादातर डेंगू के मरीज घनी आबादी वाले इलाके में मिल रहे हैं। उनमें ज्यादातर पीड़ितों के घरों के आस-पास कहीं भी ऐसी जगह नहीं जहां बारिश का साफ पानी जमा होता है. अलबत्ता उनके घरों में कूलर जरूर हैं. यानी शहरी क्षेत्र में कूलर के जमा पानी में डेंगू के लार्वा पैदा होकर गंभीर बीमारी फैला रहे हैं. निगम की ओर से दावा जरूर किया जा रहा है कि रोज सर्वे कर कूलर के जमा पानी को खाली करवाया जा रहा है. लेकिन मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या दावों की हकीकत उजागर कर रही है.
आमतौर पर डेंगू भिलाई की बीमारी के नाम से जानी जाती है. वहां हर साल प्रकोप फैलने पर जांच की गई तो पता चला घनी झाड़ियों के बीच गड्ढों में भरे साफ पानी में इसके लार्वा पनपते हैं. उन्हें नष्ट करने वहां गड्ढों में गंबूशिया मछली डाली जा रही है. यहां भी कई केस ऐसे हैं जिनके घरों में कूलर नहीं हैं, उनके घरों के आस-पास गहरे गड्ढे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरीजों की हिस्ट्री ही चेक नहीं की है. जिसकी वजह से बचाव के ठोस उपाय शुरू ही नहीं किए गए हैं.
चिकित्सा शिक्षा विभाग के बड़े अफसर डेंगू पीड़ित हो गए हैं. उनका प्लेटलेट इतना कम हो गया है कि उन्हें अंबेडकर अस्पताल में भर्ती करना पड़ गया है. अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार गुरुवार को ही 5 मरीजों को भर्ती किया गया. अस्पताल के ब्लड विभाग में दान में मिलने वाले खून से प्लेटलेट की ज्यादा यूनिट तैयार की जा रही है. अफसरों के अनुसार अभी तक रोज औसतन 25 से 30 यूनिट प्लेटलेट कैंसर के मरीजों के लिए निकाली जाती थी. अब संख्या बढ़ाकर 35 से 40 कर दी गई है.
निगम अफसरों ने गीतांजलि नगर, तात्यापारा, देवेंद्रनगर, रामसागरपारा, सत्ती बाजार, डीडी नगर, राजकुमार कॉलेज, माना कैंप, बैरनबाजार, पंडरी, शक्ति नगर, अवंति विहार, रामकुंड, गुढियारी, लोधीपारा, कृष्णा नगर, छत्तीसगढ़ नगर और पुरानी बस्ती के लोगों को अलर्ट किया है कि वे डेंगू से बचने के लिए जरूरी उपाय करें. अलर्ट जारी करने के बावजूद निगम की ओर से इन वार्डो अभी तक डेंगू रोकने के लिए जरूरी उपाय नहीं किए है.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्यभर में 2020 में डेंगू के केवल 57 केस मिले थे. 2021 में 1086 और 2022 में 859 मरीज मिले थे. राजधानी में 2020 में डेंगू के मरीज सरकारी आंकड़ों में बेहद कम थे, लेकिन कई वार्डों में इनकी संख्या ज्यादा थी. 2021 में करीब 150 और 2022 में 300 से ज्यादा मरीज मिले थे. 2023 में जनवरी से अब तक प्रदेश में 192 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें अगस्त में सबसे ज्यादा मरीज भिलाई-दुर्ग में 96 मिले हैं.
डेंगू के मरीज बढ़ने के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों और लैब में एलाइजा टेस्ट की फीस 500 से 700 रुपए तक बढ़ा दी गई है. महीने भर पहले तक निजी लैब में एलाइजा टेस्ट की फीस 1100 से 3800 रुपए थी. लेकिन अभी इसकी जांच फीस 1600 से 4500 रुपए तक पहुंच गई है.
डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है. एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है. यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है. डेंगू 4 वायरसों के कारण होता है. इनके नाम – डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4 हैं.
नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी एके हलदर ने कहा, डेंगू से बचाने के लिए सफाई पर जोर दिया जा रहा है. एंटी लार्वा का छिड़काव करने के साथ ही जोन वाइज स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जाएंगे. जहां से शिकायतें मिल रही हैं वहां गैंग लगाकर सफाई कराई जा रही है.