कोंडागांव जिले के पूर्व कलेक्टर नीलकंठ टेकाम आज से BJP के हो गए हैं. करीब 3 हजार समर्थकों के साथ उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली है. BJP प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, पूर्व CM डॉ रमन सिंह समेत BJP के नेताओं ने उनका पार्टी में स्वागत किया है. भाजपा में प्रवेश लेने के बाद उन्होंने कांग्रेस सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि, मैं फील्ड पर काम करने वाला हूं. सरकार मेरा उपयोग ठीक तरह से नहीं कर पा रही थी. 3 सालों तक मुझे एक जगह बिठाकर रखा गया.
दरअसल, कोंडागांव जिले के केशकाल में भाजपा ने एक विशाल सभा का आयोजन किया था. जिसमें भाजपा प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व CM डॉ रमन सिंह, धरमलाल कौशिक समेत भाजपा के अन्य दिग्गज नेता मौजूद थे. वहीं IAS नीलकंठ टेकाम टेकाम अपने समर्थकों के साथ बाइक रैली निकालते हुए सभा स्थल पहुंचे. जहां भाजपा के दिग्गजों ने नीलकंठ टेकाम और उनके समर्थकों का BJP में स्वागत किया.
इस मौके पर मौजूद BJP प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने कहा कि, जनता को भाजपा पर भरोसा है. यही वजह से की लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं. इस साल होने वाले चुनाव में राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी. पूर्व CM डॉ रमन सिंह ने कहा कि, नीलकंठ टेकाम ईमानदार ऑफिसर थे. इनके मन में आदिवासियों के प्रति पीड़ा है, प्रेम है, संवेदना है. नीलकंठ आपके अपने हैं. वहीं भाजपा में शामिल होने के बाद नीलकंठ ने कहा कि, मैं अब जनता के लिए पूरी ईमानदारी के साथ काम करूंगा. जनता की सेवा करूंगा.
बस्तर में कांकेर जिले का अंतागढ़ सरईपारा नीलकंठ टेकाम का मूल निवास है. यहीं उनकी स्कूली शिक्षा भी हुई है. जिसके बाद कांकेर जिले में शासकीय गवर्मेंट कॉलेज से उन्होंने 1990 के दशक में समाजशास्त्र से M.A. किया. यहीं कुशल नेतृत्व के चलते छात्रसंघ के अध्यक्ष भी चुने गए थे.
साल 1994 में उन्होंने MP-PSC की परीक्षा पास की और ST वर्ग में टॉपर रहे. उनकी ज्यादातर पोस्टिंग बस्तर संभाग में रही. जगदलपुर में करीब 6 साल SDM से लेकर अपर कलेक्टर रहे और जगदलपुर में नगर निगम कमिश्नर की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. वे दंतेवाड़ा जिला के जिला पंचायत CEO भी रहे हैं. कोंडागांव कलेक्टर रहते हुए उन्होंने नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में कोंडागांव को नंबर-1 बनाया है. उनके रिटायरमेंट का समय साल 2028 तक है. साल 2008 में उन्हें IAS अवॉर्ड भी मिला है.
छात्र राजनीति में सक्रिय रहने के बाद नीलकंठ टेकाम की इच्छा शुरू से ही राजनीति में आने की थी. अविभाजित मध्यप्रदेश के समय उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था तब वे बड़वानी जिले में SDM के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने हजारों लोगों के साथ कलेक्टर दफ्तर पहुंचकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया था. लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कुछ आदिवासी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उनका नामांकन वापस कराया गया और फिर वे नौकरी में बने रहे.
2005 बैच के IAS रहे ओपी चौधरी ने भी इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा था. साल 2018 में BJP जॉइन करने के बाद चौधरी ने खरसिया सीट से विधानसभा का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल के खिलाफ लड़ा. लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हार के बावजूद ओपी चौधरी BJP में लगातार सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. इस वक्त वे बीजेपी महामंत्री की जिम्मेदारी सम्भाल रहे हैं.