प्रदेश में आने वाले चुनावी माहौल के बीच हिंसा भड़काई जा सकती है. इसके खूफिया इनपुट इंटेलिजेंस विभाग को मिले हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों के SSP को सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल बनाने को कहा गया है. पुलिस हेडक्वॉर्टर की स्पेशल ब्रांच ने पाया है कि सोशल मीडिया के जरिए प्रदेश में हिंसा भड़काने के प्रयास हो सकते हैं. इस वजह से सोशल मीडिया की हर पोस्ट पर नजर रखने के लिए सेल बनाई जा रही है.
इंटेलिजेंस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मॉनिटरिंग सेल में पुलिस महकमे के लोग होंगे, जो लगातार सोशल मीडिया पर नजर रखेंगे. सभी जिलों में सार्वजनिक छवि रखने वाले नेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की पोस्ट पर नजर रखी जाएगी. व्हाट्सएप ग्रुप के संबंध में भी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल जानकारी लेगी. किसी भी तरह के भड़काऊ पोस्ट, तस्वीर वायरल होने पर ग्रुप के एडमिन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी.
पुलिस मुख्यालय के इंटेलिजेंस के आईजी रैंक के अधिकारी की ओर से एक आदेश भी जारी किया गया है. प्रदेश के सभी जिला के सभी जिला SSP और SP को यह आदेश भेजा गया है. आदेश में लिखा गया है कि कई प्रकरणों में देखा जा चुका है कि सोशल मीडिया में प्रचारित अफवाहों या आपत्तिजनक पोस्ट से कानून व्यवस्था के विपरीत परिस्थितियां निर्मित हुई है, इसलिए शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग किया जाना आवश्यक है.
आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया में होने वाले आपत्तिजनक पोस्ट जिससे सांप्रदायिक या सामाजिक तनाव पैदा होने की संभावना हो तो ऐसे पोस्ट अथवा फेक न्यूज़ जिससे क्षेत्र की शांति भंग होने की संभावना हो इनकी मॉनिटरिंग की जाएगी. आपत्तिजनक पोस्ट की सूचना जानकारी देने वाले की पहचान को गुप्त रखा जाएगा और ऐसे पोस्ट सर्कुलेट करने वाले पेज प्रोफाइल व्हाट्सएप ग्रुप के ऑपरेटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, भारतीय जनता पार्टी का आक्रामक रूख देखने को मिल रहा है. 2 दिन पहले 19 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने अरुण साव का एक ट्वीट चर्चा में है. इसमें उन्होंने प्रदेश में भाजपा लाने, जिहादियों से छुटकारा पाने और बुलडोजर चलाने जैसी बात लिखी है.
बीते 2 सालों में हुई बड़ी हिंसक झड़प, जिन्होंने माहौल बिगाड़ा
बस्तर – छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में धर्मांतरण के आरोप लगाकर इसी साल जनवरी माह में बवाल हुआ. 1 जनवरी को एड़का थाना क्षेत्र के गोर्रा गांव में दो समुदायों के बीच बवाल हुआ. चर्च में हिंसा हुई, पुलिस अफसरों के सिर भीड़ ने फोड़े. 2 जनवरी को नारायणपुर जिला मुख्यालय में सैकड़ों की संख्या में उपद्रवियों ने चर्च में जमकर तोड़फोड़ की थी. साथ ही जिले के SP समेत पुलिस जवानों की पिटाई भी की थी. दर्जनों ग्रामीणों को अरेस्ट किया गया.
बेमेतरा- बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में इसी साल 8 अप्रैल को दो समुदायों के बीच हुई हिंसा में 23 वर्षीय भुनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी. हिंसा के बाद 11 अप्रैल को शक्तिघाट इलाके में पिता-पुत्र रहीम मोहम्मद और ईदुल मोहम्मद की लाश मिली थी. मामला साजा थाना क्षेत्र का था. दोनों ही पक्षों के दर्जनों लोगों को अरेस्ट किया गया. विवाद बच्चों के झगड़े से शुरू हुआ. बाद में पता चला कि गांव की लड़कियों के दूसरे धर्म में प्रेम विवाह के मुद्दे ने चिंगारी के ज्वाला बना दिया. दो सप्ताह तक गांव में कर्फ्यू के हालात रहे.
रायपुर – दो साल पहले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धर्म परिवर्तन के एक मामले पर विवाद छिड़ गया. कुछ लोग पुरानी बस्ती पुलिस स्टेशन पहुंचे, उन्होंने एक पादरी पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. गुस्साए लोगों ने इंस्पेक्टर के कमरे में बैठे पादरी की जूतों से पिटाई भी की. घटना के बाद पुलिस इंस्पेक्टर को लाइन अटैच कर दिया गया था.
कवर्धा- दो साल पहले कवर्धा के वार्ड नंबर 27 के लोहारा नाका चौक इलाके में झंडा लगाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था. कुछ युवकों ने अपना झंडा चौराहे पर लगा दिया. इसी बात को लेकर दो गुटों के युवक सड़क पर लाठी-डंडे लेकर उतर आए. एक दूसरे को पीटा, पत्थरबाजी हुई. पुलिस की आंखों के सामने एक युवक को भीड़ पीटती रही. मारपीट में 8 लोग घायल हुए हैं. इसके बाद लोहारा नाका इलाके में कई गाड़ियों, दुकानों में तोड़-फोड़ हुई. यहां भी कर्फ्यू लगाना पड़ा, इंटरनेट सेवा रोक दी गई थी.