छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के बंद हो चुके कोरबा पूर्व संयंत्र की 45 साल पुरानी 120-120 MW की दोनों इकाइयों की 125 मीटर ऊंची चिमनी को जमींदोज कर दिया गया है. विस्फोटक से ये चिमनी कुछ ही सेकेंड में धराशायी हो गई.
50-50 MW की 4 संयंत्र की चिमनी को अब गिराने की तैयारी शुरू हो गई है. 70 के दशक में इस पावर प्लांट को स्थापित किया गया था. इसे वर्ष 2020 में बंद कर दिया गया था. प्लांट में मौजूद कलपुर्जों को एक निजी कंपनी ने खरीदा है, जिसके द्वारा चिमनी को गिरा दिया गया. वहीं दूसरी चिमनी को भी गिराने की तैयारी की जा रही है.
अविभाजित मध्य प्रदेश में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) के सहयोग से कोरबा पूर्व ताप विद्युत संयंत्र परिसर में वर्ष 1976 में 120 मेगावाट की एक इकाई 5 और 1981 में दूसरी इकाई 6 स्थापित की गई थी. ऊर्जाधानी के रूप में कोरबा को मिली यह पहचान नए संयंत्रों के स्थापना के साथ बनी रही, लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पूर्व संयंत्र से प्रदूषण अधिक होने पर एतराज जताते हुए इसे बंद करने सिफारिश राज्य सरकार से की थी.
इस संयंत्र को जारी रखने दोनों इकाइयों का नवीनीकरण वर्ष 2005 में ₹300 करोड़ से भी ज्यादा राशि खर्च कर किया गया. इसके बाद फिर से विद्युत उत्पादन होने लगा. बाद में प्रदूषण को देखते हुए कंपनी ने इन दोनों इकाइयों को 31 दिसंबर 2020 को बंद कर दिया और इकाई का कबाड़ बेच दिया. कबाड़ खरीदने वाली कंपनी प्लांट को डिस्मेंटल कर रही है. इसी कड़ी में कंपनी ने 120 MW इकाई की 125 मीटर ऊंची चिमनी को गिरा दिया.