बहुमूल्य तत्व लिथियम उत्खनन के लिए कटघोरा के जिस क्षेत्र को चिन्हांकित किया गया है, उसमें जल संसाधन का निर्माणाधीन रामपुर जलाशय भी शामिल है. 43 हेक्टेयर रकबा में विस्तृत 83.40 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा जलाशय का काम 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है. 17 किलोमीटर नहर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला लंबित होने की वजह से निर्माण कार्य 3 साल से बंद है. लिथियम उत्खनन के लिए प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू होने वाली है. ऐसे में 11 गांव के ढाई हजार हेक्टेयर खेतों के लिए प्रस्तावित सिंचाई योजना के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है.
जिले के कटघोरा क्षेत्र में रासायनिक तत्व लिथियम के मिलने के बाद यह केंद्रीय खान उत्खनन विभाग के दायरे में आ गया है. दरअसल जिन स्थानों को उत्खनन विभाग ने हवाई सर्वे करने के बाद लिथियम भंडारित क्षेत्र घोषित किया है वह पूरी तरह से कृषि रकबा है. महेशपुर, घुचापुर, घरीपखपना, रामपुर सहित 2 दर्जन से भी अधिक छोटे-बड़े गांवों का मुख्य व्यवसाय खेती है. छोटे पहाड़ी क्षेत्र से घिरा यह स्थान मैदानी क्षेत्र से ऊपर होने के कारण जलाशय निर्माण के लिए उपयुक्त है. इस वजह से जल संसाधन विभाग ने 10 साल पहले रामपुर क्षेत्र को जलाशय निर्माण के लिए चिन्हित किया. पहाड़ों से बहकर मैदान क्षेत्र में व्यर्थ बह जाने वाले वर्षा जल को रोकने के लिए भाजपा शासन के कार्यकाल में जलाशय निर्माण को स्वीकृति दी गई. जलाशय के जल संग्रहण क्षेत्र के बंधान काम पूरा किया जा चुका है.
स्वीकृत राशि में जलाशय के साथ नहर निर्माण का काम भी शेष हैं. इसके लिए लगभग 380 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. 17 किलोमीटर नहर में 35 प्रतिशत निर्माण कार्य किया जा चुका है. जल संसाधन विभाग की ओर से जमीन अधिग्रहण के लिए राशि राजस्व विभाग में जमा करा दी गई है. विभाग में अधिकारी बदलते रहे और जिला प्रशासन की ओर से गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ. नहर व जलाशय निर्माण का कार्य भले ही सुस्त गति से चल रहा था लेकिन क्षेत्रवासी आश्वस्त थे कि उन्हे आने वाले दिनों में रामपुर जलाशय का पानी मिलेगा. अब लिथियम भंडारण क्षेत्र के दायरे में आने के कारण सिंचाई योजना का काम पूरा होगा या नहीं इस पर संशय है.
17 किलोमीटर लंबी नहर में 7 अतिरिक्त शाखा नहर का निर्माण भी प्रस्तावित है. लगगभ 9 किलोमीटर शाखा नहर से नदी के उथले बंजर भूमि को पानी मिलेगा. सिंचाई सुविधा के अभाव में प्रस्तावित गांवों में अभी वर्षा आश्रित खेती होती है. जल संसाधन विभाग की माने तो शाखा नहर का आगे भी विस्तार किए जाने की संभावना है. इसके अलावा नहर में पानी का बहाव होने से सायफन के माध्यम से जलापूर्ति की सुविधा में विस्तार मिलेगा. नहर विस्तार होने से आसपास के किसान डीजल पंप से पानी को अधिक दूर तक ले जा सकते हैं.
अहिरन नदी के पानी को कटघोरा के निकट आमाखोखरा जलाशय से डायवर्ट कर 21 गांव के 2000 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित किया जाना है. 57.07 करोड़ राशि कार्य के लिए स्वीकृत है, लेकिन राजस्व विभाग में बार-बार अधिकारियों के बदलने से भू-अधिग्रण और मुआवजा लंबित है. खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 23 किलोमीटर नहर का निर्माण का काम 5 साल से अधूरा है. राजस्व अधिकारियों की लापरवाही के कारण 8000 किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा. जलाशय के पानी का भले ही सिंचाई के लिए उपयोग न हो रहा हो लेकिन कटघोरा नगर को इससे जलापूर्ति की जा रही है. इसके लिए PHE विभाग ने 33 करोड़ की लागत से जलावर्धन योजना तैयार की है. 20 वार्डों में बंटे नगर में अभी भी पाइप लाइन का पूरा विस्तार नहीं किया गया.
देश के विकास के लिए कोरबा के किसानों का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता फिर चाहे कोयला के लिए खदानों का मामला हो या फिर बिजली संयंत्रों के स्थापना का. देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने किसानों ने अपनी कृषि भूमि का किया गया. बात केवल कटघोरा विकासखंड की करें तो यहां 40 प्रतिशत कृषि भूमि को किसान SECL के हवाले कर चुके हैं. गौर करने वाली बात यह है कि रामपुर जलाशय से जिन 13 गांवाें में पानी पहुंचाया जाना है, उनमें अधिकांश गांव लिथियम भंडारण के दायरे में है. ताप विद्युत के लिए जिस तरह कोयला आवश्यक है उसी तरह ग्रीन एनर्जी के लिए लिथियम महत्वपूर्ण कड़ी है. आना वाला दौर सौर ऊर्जा पर ही आश्रित होगा, इसलिए एक बार और किसानों को अपनी उपजाऊ भूमि देनी होगी.
रामपुर, महेशपुर, केनाडांड़, नवागांव, कटघोरा, हुंकरा, डगनिया, दर्राभांठा, बिसनपुर, जेंजरा, घरी पखना
एसएल द्विवेदी, मुख्य कार्यपालन, जल संसाधन ने बताया कि रामपुर जलाशय का काम 90 प्रतिशत पूरा हो चुका. नहर निर्माण का भू-अर्जन के कारण लंबित है. जलाशय क्षेत्र में लिथियम का भंडार निर्माणाधीन जलाशय के नीचे होने की अधिकृत तौर पर जानकारी अभी नहीं दी गई है. इस संबंध में शासन का जो भी निर्णय होगा उसका पालन किया जाएगा.