शासन ने मां दंतेश्वरी कॉरिडोर की जांच के आदेश दे दिए हैं. सचिवालय में सारी फाइलें तलब कर ली गई हैं. इस बीच यह बात सामने आई है कि दंतेवाड़ा कलेक्टर विनीत नंदवार के आदेश पर कॉरिडोर में 20 नहीं 50 करोड़ से अधिक के काम DMF से कराए गए हैं. ये सभी काम एक ही ठेकेदार को दिए गए. यही नहीं अधिकतर काम को SOR से 10 प्रतिशत अधिक पर दिया गया.
आचार संहिता लगने से पहले ही अधूरे कॉरिडोर का उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों से करवा दिया गया था. सबसे बड़ी बात यह है कि नदी के किनारे के काम जल संसाधन विभाग को दिए जाते हैं. बड़े ठेके PWD को दिए जाते हैं, लेकिन कलेक्टर ने इन सभी काम का जिम्मा ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (RES) को दिए. RES का काम ग्रामीण इलाके में सड़क और भवन निर्माण का होता है.
डंकनी नदी के किनारे रिटेनिंग वाल के लिए दो टेंडर किए गए. एक 11.75 करोड़ रुपए और दूसरा 7.79 करोड़ रुपए का है। 11.75 करोड़ रुपए को 26 भागों में बांटकर एक ही टेंडर किया गया. बड़ा सवाल यह है कि ऐसे में 26 टेंडर होने थे. यही नहीं वर्क ऑर्डर भी कृष्णा इंटरप्राइजेज को एक ही जारी हुआ. अभी इस दीवार का लगभग 35 प्रतिशत काम ही हुआ है, लेकिन ठेकेदार को 9 करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया है.
तीन फेज में हो रहा है कॉरिडोर का काम
पहला- रिवर फ्रंट: इसमें 20 करोड़ का काम हो रहा है. जिसके लिए 11.75 करोड़ और 7.79 करोड़ के दो टेंडर 46 भागों में निकाले गए. ये दोनों काम कृष्णा इंटरप्राइजेज कर रहा है. इसके अलावा घाट डेवलपमेंट का काम भी 12 करोड़ का है. इसके लिए 50 लाख से अधिक के टेंडर हुए, बताया जा रहा है कि ये पहले ऑनलाइन हुए बाद में मैनुअल करके कृष्णा इंटरप्राइजेज को दे दिए गए.
दूसरा- मंदिर परिसर में निर्माण: इसमें मंदिर परिसर में बाउंड्रीवाल, पूजा सामग्री बेचने वालों के लिए कॉम्पलेक्स जैसे काम के लिए 11 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली. यह काम पहले टी राणा को दिया गया. इन्हें 79 लाख रुपए का भुगतान भी हुआ. इसके बाद आचार संहिता के पहले इसे SOR से 10 प्रतिशत अधिक पर कृष्णा इंटरप्राइजेज को दे दिया गया.
तीसरा- ज्योति कलश का निर्माण: इसके लिए पहले 1 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी. इसके बाद रिवाइज होकर 3.5 करोड़ रुपए हुई. नंदवार ने इसे 8 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दिला दी.