छत्तीसगढ़ समेत बलौदाबाजार जिले के गांव-गांव में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने वाली 102 महतारी एक्सप्रेस एंबुलेंस के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं, जिससे व्यवस्था चरमरा गई है. कर्मचारियों की हड़ताल से महतारी एंबुलेंस खड़ी हो गई है, इससे गर्भवती महिलाओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि वे लोग पिछले 10 सालों से जेवीके कंपनी के अंतर्गत 102 एंबुलेंस सेवा में काम कर रहे हैं और अब शासन ने यह ठेका दूसरी कंपनी कैंप को दे दिया है. अब दूसरी कंपनी हमें काम से बाहर का रास्ता दिखा रही है. नई कंपनी ने आगे सेवा जारी रखने के लिए 50 हजार रुपए की मांग की है, साथ ही EMT के लिए BSC नर्सिंग की डिग्री को अनिवार्य बताया है.
हड़ताली कर्मचारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वादा किया था कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद हमें नियमित किया जाएगा, लेकिन अब तक वादा पूरा नहीं किया गया. बता दें कि प्रदेशभर में चल रही इस सेवा का सबसे ज्यादा लाभ ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को मिलता है और पूरे प्रदेश में लगभग 1000 कर्मचारी इस सेवा में लगे हैं.
ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 102 महतारी सेवा साल 2013 में शुरू की गई थी. पहले समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के चलते गर्भवती महिलाओं और बच्चों की जान जा रही थी. तब तत्कालीन छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए महतारी एक्सप्रेस की शुरुआत की थी. इसका ठेका एक निजी कंपनी को देकर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कहा गया. उस वक्त JVK कंपनी को पूरे प्रदेश में इसका ठेका मिला था. वे एक वाहन में 4 कर्मचारी नियुक्त कर दो पालियों में सेवा दे रहे थे.
2023 में JVK कंपनी के बदले कैंप कंपनी को ठेका दिया गया. वे अब प्रदेश के करीब एक हजार कर्मचारियों को बाहर कर नए लोगों की भर्ती कर रहे हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि भर्ती और नौकरी जारी रखने के लिए कैंप कंपनी का स्टाफ सुरक्षा निधि के नाम पर नगद 30 हजार से लेकर 50 हजार रुपए की मांग कर रहा है. इसकी न तो वे रसीद दे रहे हैं और न तो पैसे को अकाउंट में ले रहे हैं. जो लोग पैसा नहीं दे पा रहे, उन्हें नौकरी से भी निकाल रहे हैं.
कर्मचारियों ने बताया कि इस महंगाई के समय में भी वे लोग 11,200 रुपए के वेतन पर काम कर रहे थे. लेकिन नई कंपनी फिर भी उन्हें हटाने की कोशिश कर रही है, जिससे उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. कर्मचारियों ने मांग की है कि सरकार उन्हें सरकारी नौकरी दे और ठेका कंपनी की मनमानी पर रोक लगाई जाए.