मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिलेट्स उत्पादक किसानों के लिए बड़ी घोषणा की है. कांग्रेस सरकार ने कोदो और कुटकी का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है. कोदो का समर्थन मूल्य ₹3000 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर ₹3200 प्रति क्विंटल और कुटकी का समर्थन मूल्य ₹3100 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर ₹3350 प्रति क्विंटल करने का ऐलान किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार कोदो और कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित नहीं करती है. राज्य सरकार की ओर से कई बार केंद्र से कोदो और कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित करने का आग्रह किया गया लेकिन इस पर केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया. अब हम मिलेट्स उत्पादक किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समर्थन मूल्य बढ़ा रहे हैं. दरअसल छत्तीसगढ़ देश का इकलौता प्रदेश है जहां राज्य सरकार ने कोदो- कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित किया है.
मुख्यमंत्री ने कहा इस साल धान की खरीदी 1 नवंबर से ही शुरू होगी. राज्य सरकार ने इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस साल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने की घोषणा की है. धान बेचने के लिए पहले 15 क्विंटल प्रति एकड़ की लिमिट तय थी इसलिए पैदा की गई अतिरिक्त फसल को औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता था. इस बार किसानों को उम्मीद है कि नए नियम से ही खरीदी होगी.
प्रदेश सरकार का दावा है कि राज्य में कोदो, कुटकी और रागी (मिलेट्स) की खेती को लेकर किसानों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ा है. पहले औने-पौने दाम में बिकने वाला मिलेट्स अब छत्तीसगढ़ राज्य में अच्छे दामों में बिकने लगा है. विभाग का दावा है कि राज्य में मिलेट्स की समर्थन मूल्य पर खरीदी होने से किसानों को करोड़ों रुपए की आय होने लगी है.
अब तक प्रदेश में 8 करोड़ 21 लाख रुपए मूल्य की 26 हजार 808 क्विंटल कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी हो चुकी है. पूरे प्रदेश में राज्य लघु वनोपज संघ की समस्त प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के जरिए कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी की जा रही है.
छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्रों के किसान परम्परागत रूप से कोदो, कुटकी और रागी जैसे मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं. इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इनको समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया था. मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड 2022 सम्मान भी मिल चुका है. राज्य में मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसको राजीव गांधी किसान न्याय योजना में शामिल किया गया है. मिलेट्स उत्पादक कृषकों को प्रोत्साहन स्वरूप प्रति एकड़ के मान से ₹9 हजार की आदान सहायता भी दी जा रही है.
यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है, इसलिए अब दूसरे इलाकों में भी इन अनाज का काफी इस्तेमाल किया जा रहा हैै. एक्सपर्ट के मुताबिक कोदो कुटकी को प्रोटीन और विटामिन युक्त अनाज माना गया है. इससे शुगर बीपी जैसे रोग में लाभ मिलता है. कोदो एक मोटा अनाज है, जिसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास के नाम से जाना जाता है. कोदो के दानों को चावल के रूप में खाया जाता है और स्थानीय बोली में भगर के चावल के नाम से भी जाना जाता है. बस्तर के आदिवासी संस्कृति और खानपान में कोदो कुटकी रागी जैसी फसलों का महत्वपूर्ण स्थान है.
सीएम भूपेश ने फरवरी महीने में प्रदेश के पहले मोबाइल मिलेट कैफे ‘मिलेट ऑन व्हील्स’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. इस चलते-फिरते मिलेट कैफे में रागी, कोदो, कुटकी से बने लजीज व्यंजन परोसे जा रहे हैं. इस मोबाइल कैफे का संचालन महिला समूह करता है. इसी तरह प्रदेश के कई हिस्सों में मिलेट कैफे बनाए गए हैं.