मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन शनिवार को समाप्त हो गया. इस कार्यक्रम में शामिल होने छत्तीसगढ़ से भी भाजपा और कांग्रेस के विधायक पहुंचे थे. शनिवार को छत्तीसगढ़ के नेताओं ने महाराष्ट्र राजभवन का दौरा किया. यहां महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस से सभी ने मुलाकात की.
मुलत: छत्तीसगढ़ रायपुर के ही रहने वाले महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस छत्तीसगढ़िया नेताओं को देख बेहद खुश नजर आए. इस मुलाकात को लेकर कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय ने कहा जब दूसरे प्रदेश में कोई अपने प्रदेश का व्यक्ति मिले तो जो खुशी का भाव मन में आता है वही भाव हम महसूस कर रहे थे. राज्यपाल ने हमें राजभवन दिखाया.
रायपुर विधायक बृजमोहन अग्रवाल समेत सभी को रमेश बैस ने राजभवन का टूर कराया. राजभवन के उस हिस्से में भी लेकर गए जहां से समुद्र दिखता है. उन्होंने बृजमोहन अग्रवाल को यह हिस्सा दिखाया और महाराष्ट्र के राजभवन के इतिहास के बारे में भी बताया.
रमेश बैस के साथ छत्तीसगढ़ के सभी विधायकों ने 44 एकड़ में फैला राजभवन देखा. मुंबई के मालाबार हिल स्थित राजभवन परिसर में एक मील लंबा घने जंगल, रेतीले समुद्र तट और कई हरे-भरे लॉन हैं. 2016 में राजभवन में ब्रिटिश काल के एक भूमिगत बंकर की खोज की गई थी. ब्रिटिश युग का बंकर प्रथम विश्व युद्ध से कुछ समय पहले बनाया गया था, जब राजभवन बॉम्बे प्रेसीडेंसी के ‘गवर्नमेंट हाउस’ के रूप में कार्य करता था. सभी विधायक इस बंकर में भी गए.
महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस कांग्रेसी विधायक विकास उपाध्याय, आशीष छाबड़ा, JCCJ के विधायक प्रमोद शर्मा से भी मुलाकात की. इन सभी को महाराष्ट्र से जुड़े स्मृति चिन्ह भी दिए. जिनमें महाराष्ट्र के प्रमुख स्थलों की खूबसूरत पेंटिंग बनाई गई थी.
मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन(एनएलसी भारत) के दौरान छत्तीसगढ़ के विधायकों ने भी वहां पर राज्य की पवित्र मिट्टी और महानदी का जल देश को समर्पित किया है. यहां देशभर से नेता अपने राज्यों से मिट्टी और नदियों का जल लाया था. इसे भारत की मिट्टी नाम के पात्र में रखा गया. ये मिटि्टयां भारतीय राज्यों की विभिन्नता को दिखाती हैं और पात्र एकता का संदेश देता है.
तीन दिवसीय राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में छत्तीसगढ़ सहित समूचे भारत के समस्त राज्यों के 2800 विधायकगण शामिल हुए हैं. इस सम्मेलन में लोकतंत्र में नीति निर्माण विधायिका को मजबूती सदन में विधायकों की भूमिका और कार्यभार जैसे विषयों पर मंथन तो किया जा रहा है. साथ ही भारत की एकता और अखंडता को और मजबूत बनाए रखने के लिए दलगत भाव, क्षेत्रवाद, जातिवाद, संप्रदायवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद को बल देने का प्रयास भी हो रहा है.