नारायणपुर जिले की आमदई लोहे की खदान पर नक्सली नजर गाड़े बैठे हैं. बीते एक-दो वर्ष में इस खदान से जुड़े पांच लोगों की नक्सली हत्या कर चुके हैं. इनमें से दो इस खदान में काम करने वाले श्रमिक हैं, जिनकी मौत एक दिन पहले शुक्रवार को खदान में नक्सलियों के लगाए हुए IED विस्फोट से हुई है.
आमदई खदान की स्थापना के बाद से ही नक्सली यहां लगातार पर्चे फेंक कर विरोध जता रहे हैं. इसमें वे आमदई पहाड़ को बचाने की बात कहते हुए यहां खनन कर रही निको जायसवाल कंपनी का विरोध कर रहे हैं. अब यह बात सामने आ रही है कि यहां लोहे के परिवहन से संबंधित ट्रक समिति व संघ के पदाधिकारियों को भी नक्सली निशाना बना रहे हैं. बीते एक माह के अंदर संघ के अध्यक्ष रतन दुबे की हत्या के बाद से तीन पदाधिकारियों ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है. इस बारे में अब तक संघ की ओर से कोई भी आधिकारिक शिकायत पुलिस में नहीं की गई है, पर पदाधिकारियों के क्रमवार पद छोड़ने के पीछे नक्सल भय को कारण बताया जा रहा है.
करीब दो वर्ष पहले नक्सलियों ने खदान में काम करने वाले मुंशी प्रदीप शील की हत्या कर दी थी. इसके बाद इसी वर्ष 10 फरवरी को भाजपा जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की घर में घुसकर हत्या कर दी गई. सागर साहू यहां सक्रिय मां दंतेश्वरी परिवहन समिति में मुख्य भूमिका निभा रहे थे. इसके बाद नौ माह तक नक्सलियों ने यहां कोई गतिविधि नहीं की. चार नवंबर को चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के जिला संयोजक व जिला पंचायत सदस्य रतन दुबे की कौशलनार गांव में बीच-बाजार हत्या कर दी गई. रतन दुबे खदान में संचालित मालिक परिवहन संघ के अध्यक्ष थे. नक्सलियों ने हत्या के बाद दुबे पर दबंगई और दलाली का आरोप लगाया था. यह बात सामने आ रही है कि इन सभी हत्या के पीछे नक्सली दबाव बनाकर खदान को के काम को प्रभावित करना चाह रहे हैं, इसके पीछे नक्सली लेवी भी बड़ी वजह है.
आमदई खदान में अब तक हुई नक्सल हत्या के पीछे खदान से जुड़े लोगों को निशाना नहीं बनाकर सीधे परिवहन से जुड़े लोगों पर हमले हुए हैं. मालिक परिवहन संघ के अध्यक्ष रतन दुबे की हत्या के बाद से बीते 20 दिन के अंदर तीन पदाधिकारी निजी कारण बताकर पद त्याग चुके हैं. दुबे की हत्या के बाद मालिक परिवहन संघ के उपाध्यक्ष अजय जैन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था, जिन्होंने दो सप्ताह के भीतर ही 17 नवंबर को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया. इसके तीन दिन बाद संघ के सचिव मो. शाहरुख पोटियावाला ने भी 20 नवंबर को पद छोड़ दिया. इस स्थिति में 23 नवंबर को संघ की बैठक बुलाकर उपाध्यक्ष अशोक कर्मकार को सर्वसम्मति से कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, पर इसके अगले ही दिन कर्मकार ने भी अपना त्यागपत्र दे दिया है.
पुष्कर शर्मा, एसपी नारायणपुर आमदई सघन वन क्षेत्र है, जहां नक्सलियों की सक्रियता रहती है. यहां सुरक्षा बल के कैंप स्थापित करने के बाद लगातार क्षेत्र की सर्चिंग व नक्सलरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं. खदान संचालित कर रही कंपनी या परिवहन संघ की ओर से नक्सलियों के विरुद्ध कोई शिकायत नहीं आई है.