बीजापुर जिले में पदस्थ बस्तर फाइटर्स का जवान शंकर कुड़ियम अब भी नक्सलियों के कब्जे में है. नक्सलियों के टॉप लीडर्स उससे पूछताछ कर रहे हैं. माओवादियों की माड़ डिवीजन कमेटी की सचिव अनिता ने प्रेस नोट के साथ जवान की तस्वीर भी जारी की है.
सचिव अनिता ने प्रेस नोट में कहा कि, 29 सितंबर को हमारी PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) ने उसपरी गांव से शंकर कुड़ियम को अगवा किया है. इसकी जानकारी पुलिस को भी थी, लेकिन इस बारे में खुलासा नहीं किया. अब पुलिस की प्रतिक्रिया के आधार पर हमारा अगला फैसला होगा.
प्रेस नोट में नक्सलियों ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप लगाया है. उनका कहना है कि, पुलिस ने ताड़मेटला में 2 निर्दोष आदिवासियों का एनकाउंटर किया है. इन्हें नक्सली बताकर फर्जी मुठभेड़ में मारा है. इस मामले को लेकर पुलिस पर कार्रवाई होनी चाहिए.
नक्सली लीडर्स का कहना है कि, बस्तर फाइटर्स फोर्स खास तौर से नक्सल विरोधी अभियान के लिए बनाया गया. इस फोर्स के जवानों को सामान्य ट्रेनिंग के अलावा तेलंगाना के ग्रेहाउंड कमांडोज की तरह ट्रेनिंग दी गई है. नक्सली इस फोर्स को खुद के लिए खतरा मान रहे हैं.
बीजापुर SP आंजनेय वार्ष्णेय ने कहा कि 29 सितंबर को शंकर अपने दोस्त के साथ उसपरी घाट गया था. सूचना मिली है कि नक्सलियों की माड़ डिवीजन कमेटी ने उसका अपहरण कर लिया है. जिले के स्थानीय युवक-युवतियां क्षेत्र के विकास, सुरक्षा और शांति के लिए सरकारी नौकरी में भर्ती हो रहे हैं.
पुलिस विभाग में भर्ती होकर स्थानीय युवक संवैधानिक दायरे में रहकर अपना फर्ज निभा रहे हैं. अलग-अलग मुठभेड़ में घायल माओवादियों को समय पर इलाज मुहैया कर जवानों ने मानवता दिखाई है. जन मानस की भावनाओं, परिजन और समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आरक्षक को सकुशल मुक्त करने की हम उम्मीद करते हैं.
जवान के परिजन ने आदिवासी समाज को शंकर कुड़ियम के अगवा होने की जानकारी दी. जिसके बाद 4 अक्टूबर को आदिवासी समाज के लोगों और परिजन ने नक्सलियों से जवान को रिहा करने की अपील की थी. परिजन का कहना है कि, शंकर को नक्सली छोड़ दें.
हाल ही में बस्तर फाइटर्स फोर्स का गठन किया गया है. बस्तर संभाग के सातों जिले में 300-300 स्थानीय युवाओं की भर्ती की गई है. बस्तर के अंदरूनी इलाकों से युवाओं की भर्ती होने से फोर्स को मजबूती मिल रही है.
इसकी बड़ी वजह है कि अंदरूनी इलाकों के ये युवा बस्तर के जल-जंगल-जमीन से वाकिफ हैं. इसलिए नक्सल ऑपरेशन में पुलिस को फायदा मिल रहा है. लिहाजा, नक्सलियों में बौखलाहट भी है.