सरगुजा जिले में परसा ईस्ट केते बासेन खदान को 30 सितंबर को बंद करने का नोटिस चस्पा करने के बाद माइंस के करीब 500 कर्मचारियों ने विरोध-प्रदर्शन किया. उदयपुर के नेशनल हाईवे पर स्थित साल्ही मोड़ पर पहुंचकर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और तहसीलदार के नाम ज्ञापन सौंपा.
अडानी माइंस के एक्सटेंशन के लिए अनुमति नहीं मिलने के विरोध में प्रदर्शन करते हुए CM भूपेश बघेल और डिप्टी CM TS सिंहदेव के नाम ज्ञापन सौंपा. राज्य शासन द्वारा अनुमति नहीं मिलने के कारण PEKB खदान बंद होने की कगार पर है.
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा ईस्ट केते बासेन कोल ब्लॉक में अडानी कंपनी द्वारा कोयला उत्पादन किया जा रहा है. PEKB खदान के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2682 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जिसमें से करीब 70 प्रतिशत हिस्सा घने जंगल का है. पेड़ों की कटाई को लेकर ग्रामीणों के आंदोलन और विरोध को देखते हुए खदान के विस्तार के लिए राज्य शासन ने अनुमति नहीं दी है.
वर्ष 2013 से संचालित इस कोयला खदान में मिली अनुमति क्षेत्र में कोल उत्पादन पूरा हो गया है. राज्य शासन को एक्सटेंशन के लिए 91 हेक्टेयर भूमि में पेड़ों की कटाई और विस्तार की अनुमति के लिए आवेदन भेजा गया है, जिस पर राज्य सरकार ने स्वीकृति नहीं दी है. राज्य सरकार द्वारा एक्सटेंशन की अनुमति जारी नहीं किए जाने के कारण वर्तमान खदान क्षेत्र में कोयला खत्म हो जाने से खदान के बंद होने की नौबत आ गई है.
अडानी माइंस लिमिटेड ने 30 सितंबर को खदान बंद होने की सूचना चस्पा कर दी है. वर्तमान में खदान में काम करने वाले करीब 500 कर्मचारी इससे सकते में आ गए और अंबिकापुर-बिलासपुर मोड़ पर स्थित साल्ही मोड़ पहुंचकर विरोध-प्रदर्शन किया.
अडानी द्वारा संचालित माइंस के एक्सटेंशन के लिए अनुमति नहीं मिलने के कारण पहले बड़ी संख्या में कार्यरत ठेकाकर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. वर्तमान में कार्यरत कर्मियों पर भी निकाले जाने का संकट खड़ा हो गया है. इसे देखते हुए कर्मियों ने उदयपुर पहुंच मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में जिक्र किया गया है कि 10 वर्षों से नियमित संचालित खदान बंद होने से क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ हजारों लोगों का रोजगार छीना जा रहा है.
खदान के बंद होने से मूलभूत सुविधा के साथ क्षेत्र की विकास कार्य पर भी विपरीत असर पड़ेगा और माइंस में नौकरी कर रहे हजारों परिवारों की रोजगार छिन जाने से बाल बच्चों सहित कई परिवारों का आजीविका पर भी व्यापक असर पड़ेगा. ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान दिनेश यादव, बंधन पोर्ते, सावित्री आर्मो, रजनी श्रीवास्तव, साधना, वीणा देवांगन, बिमला नेटी, गनेश्वरी, परमेश्वरी, गीता, बिफईया सहित अन्य सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे.
PEKB खदान क्षेत्र में गत वर्ष 41 हेक्टेयर भूमि पर खदान एक्सटेंशन के लिए अनुमति दी गई थी. ग्रामीणों के विरोध के बीच यहां प्रशासन ने एक दिन में 8000 पेड़ों को फोर्स लगाकर कटवा दिया था. इसका लोगों ने विरोध किया था. अब 91 हेक्टेयर में बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने हैं, जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं.
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित इस खदान में केंद्र सरकार द्वारा 15 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष कोयला उत्पादन की अनुमति दी गई है. राजस्थान सरकार ने कोयले की कमी का हवाला देकर सरकार से PEKB खदान का एक्सटेंशन देने पत्र लिखा है. खदान प्रबंधन के अनुसार कोयला खदान में उत्पादन बंद होने की स्थिति है. अब रिजर्व कोयला राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को भेजा जा रहा है.