रायपुर का युवक दिल्ली में बैठकर छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टा खिला रहा था. बिलासपुर पुलिस ने इस गैंग के सरगना समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से 10 मोबाइल, 3 लैपटॉप, ATM कार्ड्स, कई बैंकों के पासबुक और एक लाख ₹50 हजार बरामद किया गया है. पूरी कार्रवाई तारबाहर पुलिस और एंटी सायबर एंड क्राइम यूनिट (ACCU) की टीम ने मिलकर की है.
SP संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस की टीम ऑनलाइन सट्टा ऐप पर लगातार नजर रख रही है. इसी दौरान पता चला कि वॉट्सएप नंबर से शहर में सट्टा खिलाया जा रहा है. जिसके बाद तारबाहर थाना प्रभारी मनोज नायक और उनकी टीम ने जांच की तो पता चला कि नंबर दिल्ली के उत्तम नगर में सक्रिय है. टीम ने दिल्ली में दबिश देकर रमेश सिंह (23) निवासी बराड़ी न्यू दिल्ली को पकड़ लिया. उससे पूछताछ में रायपुर के स्वर्णभूमि कॉलोनी निवासी मुख्य सरगना सनी पृथ्वानी (39) के बारे में जानकारी दी, जो इस पूरे ब्रांच का मास्टरमाइंड था.
इस दौरान वह दिल्ली से मुंबई भाग गया था, जिस पर पुलिस उसका पीछा कर रही थी. वह मुंबई से भागकर रायपुर आ गया, जिसे पुलिस ने पकड़ लिया. इसके बाद पुलिस ने उसके चार कर्मचारियों को भी दबोच लिया. इस कार्रवाई में CSP और IPS संदीप कुमार पटेल, SI संजय बरेठ, आरक्षक संदीप शर्मा, सरफराज खान, मुरली भारद्वाज, संदीप शर्मा सहित अन्य शामिल रहे.
बिलासपुर की कार्रवाई के बाद मिले इनपुट के आधार पर रायपुर में चलाए जा रहे शीमर्स क्लब के संचालकों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. विभागीय सूत्रों ने बताया कि कुछ मामलों में पूछताछ के लिए कारोबारियों को बुलाया गया है, जल्द ही इस मामले में पुलिस खुलासा कर सकती है. फिलहाल सामने आ रही जानकारी के मुताबिक शीमर्स क्लब के संचालक सट्टे के ऑनलाइन ऑपरेशन और सट्टे की रकम के बड़े लेन-देन में शामिल रहे हैं. पंडरी मोवा रोड पर स्थित इस क्लब में कई बार सट्टे के कारोबार से जुड़े लोग देखे जाते हैं.
पुलिस अफसरों ने बताया कि पकड़े गए मास्टरमाइंड सनी पृथवानी से पुलिस ने पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे ब्रांच खोलने पर दो प्रतिशत कमीशन हर सट्टे पर मिलता था. पुलिस का दावा है कि उसके मोबाइल चेटिंग और तकनीकी जांच से रायपुर के बड़े होटल कारोबारियों का नाम भी सट्टेबाजों के रूप में सामने आया है, जो उसके माध्यम से पैसे इन्वेस्ट करते हैं. पुलिस उसे अब रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी, जिसके बाद सफेदपोश कारोबारियों का राज खुलेगा. SP संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले हैं, जिसमें यह मालूम चला कि रायपुर के कई बड़े कारोबारी भी सट्टे से जुड़े हुए हैं.
आरोपी सनी के द्वारा ऐसे लोगों को पकड़ा जाता, जो कम्प्यूटर की जानकारी रखते थे. साथ ही उन्हें काम की तलाश होती थी. उन्हें डेटा ऑपरेटर के रूप में ₹25 हजार सैलरी पर नौकरी दी जाती थी. इसके बाद उनसे सट्टे का काम कराया जाता था. एक तरह से वे लोग भी ट्रैप होकर लालच में इस अवैध धंधे में शामिल हो जाते थे.
SP संतोष कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी पहले लोगों को सट्टे की लत लगवाने के लिए उन्हें जिताते थे. इनका ऐप ऐसे प्रोग्राम से चलता है, जिसमें किसी बड़ी पार्टी को फंसाने के लिए पहले उसे पैसे जिताए जाते, फिर थोड़े पैसे हराकर मोटी रकम जिता देते. इसके बाद सामने वाले को इसकी लत लग जाती और फिर उसे हराना शुरू कर दिया जाता.
मामले पुलिस को कई बैंक अकाउंट मिले हैं, जिसमें पैसों का लेनदेन होता है. पुलिस ने उन्हें होल्ड करवा दिया है. यह रकम 20 लाख से अधिक की हो सकती है. इस अवैध कारोबार के सरगना अपने नाम से कभी ब्रांच नहीं डालते थे, वे एक मैनेजर रखते और उसे ही इंचार्ज बना देते हैं. ऐसे सभी ब्रांचों की जानकारी निकाली जा रही है. पुलिस ने केस में रायपुर के सनी पृथ्वानी पिता हरिराम पृथ्वानी (39), जशपुर निवासी विनय भगत पिता बिखनाथ (30), नई दिल्ली बराड़ी निवासी रमेश सिंह पिता सतीश सिंह (23), जशपुर जिले के खुटगांव निवासी मनेश्वर भगत पिता रामप्रसाद भगत (24) और बिहार के रोहतास जिले के भानस निवासी मोंटू रवानी पिता गौरी रवानी (35) को गिरफ्तार किया है.