जगदलपुर नगर निगम क्षेत्र में स्थित बस्तर के सबसे बड़े और ऐतिहासिक दलपत सागर की रविवार को सफाई की गई है. कलेक्टर विजय दयाराम के. समेत शहरवासियों ने साथ मिलकर जलकुंभियों को निकाला है. इसके अलावा कलेक्टर ने दलपत सागर में 5 हजार ग्रासकार्प मछली बीज छोड़ा है. उन्होंने बताया कि, हाइड्रिला एवं अन्य जलीय पौधे ग्रासकार्प मछलियों का पसंदीदा आहार है और ग्रासकार्प मछली हर रोज अपने वजन से पांच गुना चारा ग्रहण करती है. दलपत सागर में इसके पहले भी बड़ी संख्या में मछली बीज डाला गया है.
दरअसल, दलपत सागर के संरक्षण के लिए पूर्व में जलकुंभी को नष्ट करने के लिए प्रायोगिक तौर पर बैक्टीरियल ई-बॉल डाले गए थे. बैक्टीरियल ई-बॉल कैल्शियम कार्बोनेट और चूना का गोला है. जिसमें मुख्य रूप से 14 प्रकार के बैक्टीरिया हैं. इसमें मौजूद टी-64 और टी-14 जलकुंभी एवं हाइड्रिला के जड़ को खाता है. वहीं इसमें मौजूद अन्य बैक्टीरिया जल शुद्धिकरण का कार्य करते हैं. दलपत सागर में डाले गए बैक्टीरियल ई-बॉल के कारण जलकुंभियां और हाइड्रिला सूखकर पानी में तैरने लगते हैं. जिन्हें वीड हारवेस्टर के जरिए पानी से निकाला जा रहा है.
दलपत सागर के स्वच्छता अभियान के दौरान बताया गया कि रानी घाट के पास एक नाव डूबी हुई है, तो कलेक्टर ने नाव को निकालने के लिए राज्य आपदा मोचन बल के जवानों को कहा. इस पर इन जवानों और तैराकों ने सभी लोगों के साथ रस्सी के जरिए कड़ी मेहनतकर निकाला. इस नाव का उपयोग जलकुंभियों की सफाई के लिए किया जाता था. इस नाव को अब सुरक्षित रखा गया है और इसकी मरम्मत कर जलकुंभियों की सफाई तथा अन्य कार्य के लिए उपयोग किया जाएगा.