राज्य के सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर बनने की चाह रखने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. अब वे 56 के उम्र में भी प्रोफेसर बन सकेंगे. भर्ती नियम में बदलाव किया गया है. पहले शासकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापक बनने की अधिकतम आयु 45 वर्ष थी. शैक्षणिक सेवा (काॅलेज सेवा) भर्ती नियम 1967 में भी प्रोफेसर के लिए अधिकतम आयु यही थी. इस तरह से 56 साल बाद अधिकतम आयु संबंधी नियम बदला है.
इसके अनुसार ही अब शासकीय कॉलेजों में प्रोफेसर की भर्ती होगी. उच्च शिक्षा से जुड़े राज्य में 285 सरकारी कॉलेज हैं. यहां प्रोफेसर के कुल 682 पद हैं और सभी खाली हैं. दो साल पहले 595 पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी. बाद में इसे रोक दिया गया. अब भर्ती को लेकर नया नियम लागू हो चुका है. इसके बाद संभावना है कि जल्द ही प्रोफेसर की सीधी भर्ती निकलेगी. इस बार भी 500 से ज्यादा पदाें पर प्रोफेसर की सीधी भर्ती होगी.
नए भर्ती नियम का असर
- सरकारी महाविद्यालय में प्रोफेसर की सीधी भर्ती का रास्ता खुलेगा. नई भर्ती होगी.
- वो उम्मीदवार जो किसी कारणवश योग्यता रखने के बाद भी सरकारी महाविद्यालय में उम्र बंधन की वजह से प्रोफेसर नहीं बन पाए थे, उन्हें अवसर मिलेगा.
प्रोफेसर बनने के लिए जो मापदंड तय किए गए हैं उसके अनुसार विश्वविद्यालय व कॉलेज में 10 साल का अध्यापन अनुभव जरूरी है. इसी तरह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सूचीबद्ध जर्नल में शोध प्रकाशन भी जरूरी है. इसी तरह उत्कृष्ट पेशेवर जो किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नहीं है, लेकिन जिसने इंडस्ट्री से संबद्ध विषय में PhD की उपाधि प्राप्त की है उसके पास दस साल का अनुभव है, तो वह इस पद के लिए पात्र है.
छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद पहली बार सितंबर 2021 में गवर्नमेंट कॉलेज में प्रोफेसर की सीधी भर्ती निकाली गई. इसके लिए PSC से आवेदन मंगाए गए. 7 हजार से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था. लेकिन 30 दिनों में भर्ती पर रोक लगा दी गई. पड़ताल में पता चला कि भर्ती नियम को लेकर, खासकर अधिकतम आयु को लेकर विवाद था. इस प्रोफेसर भर्ती के तहत पुरुष (अनारक्षित) वर्ग के लिए न्यूनतम आयु सीमा 31 और अधिकतम 45 वर्ष थी. शिक्षाविदों ने इस भर्ती का यह कहकर विरोध किया कि प्रोफेसर भर्ती में जो अधिकतम आयु निर्धारित है, वह सही नहीं है. कई राज्यों में प्रोफेसर भर्ती के लिए अधिकतम आयु 55 और कुछ राज्यों में 58 वर्ष है.