राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की तर्ज पर रायगढ़ में 1 जून से 3 जून तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है. संस्कृति विभाग इस आयोजन की जोर-शोर से तैयारी कर रहा है. आदिवासी नृत्य महोत्सव की तरह ही देश के विभिन्न राज्यों सहित विदेशी कलाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है. जल्द ही छत्तीसगढ़ की धरा पर देश-विदेश के कलाकारों द्वारा रामायण की अनूठी प्रस्तुति देखने को मिलेगी. एशियन कंट्री जैसे थाईलैंड, बाली, इंडोनेशिया जैसे देशों की टीमों से बात चल रही है.
इस कार्यक्रम के बारे में प्रदेश के सीएम भूपेश बघेल ने एक वीडियो संदेश में कहा- हमारी धरती माता कौशल्या की धरती है. भगवान राम काे को यहां भांजा माना जाता है. रायगढ़ के राम लीला मैदान में रामायण महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में प्रदेश के साथ देश के अन्य राज्यों के रामायण दल आएंगे. विदेशों में भी राम कथा होती है. विदेशी दल भी आएंगे और राम कथा को महोत्सव के जरिए आयोजित करेंगे. रामायण के प्रसंगों की सुंदर व्याख्या होगी और राम कथा का व्यापाक विस्तार होगा. आप सभी जरूर पधारें, जय सिया राम.
संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रामायण महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले मानस मंडली के कलाकार दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक और विदेशों से आने वाले मानस मंडली के द्वारा रात्रि 8 बजे सेे रात्रि 10 बजे तक प्रस्तुति दी जाएगी. इस भव्य आयोजन में अरण्यकांड पर केंद्रित प्रसंगों पर विभिन्न राज्यों से आए मानस दलों के साथ ही विदेशी दलों के द्वारा रामायण की प्रस्तुति की जाएगी. राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में सामूहिक हनुमान चालीसा एवं भव्य केलो आरती का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें हजारों की संख्या में दीपदान किया जाएगा.
प्रदेश में पहली बार संस्कृति विभाग राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन रायगढ़ के राम लीला मैदान में करेगा. इस महोत्सव में शामिल होने वाली मानस मंडलियों को पुरस्कृत किया जाएगा, जिसमें प्रथम पुरस्कार ₹5 लाख, द्वितीय पुरस्कार ₹3 लाख और तृतीय पुरस्कार की ₹2 लाख तय की गई है.
रामायण की कथा अनेक भाषाओं में लिखी गई है और अनेक देशों में इनका मंचन होता है. छत्तीसगढ़ में तुलसीदास जी का रामचरित मानस जन-जन में व्याप्त है. अब रामायण महोत्सव के माध्यम से वाल्मीकि से लेकर भवभूति तक भगवान राम के आदर्शों की झलक देखने को मिलेगी. रामायण का विस्तार कम्बन के तमिल रामायण से लेकर कृतिवास के बंगला रामायण तक है. इसके साथ ही दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भी इसके कई रूप प्रचलित है. रामायण महोत्सव के माध्यम से श्रीराम के चरित्र के इन सुंदर रूपों की झलक दर्शकों को मिल सकेगी.