नए जिलों में भले ही कंपोजिट बिल्डिंग बनाने का काम पूरा हो गया है, लेकिन राजधानी में 11 साल बाद अब नई बिल्डिंग बनाने का काम शुरू किया गया है. अफसरों की लेटलतीफी की वजह से कंपोजिट बिल्डिंग का बजट 6 करोड़ से बढ़कर 10 करोड़ हो गया है. नया भवन पहले पांच माले का तय किया गया था, लेकिन अब इसे सात फ्लोर का कर दिया गया है.
यह भवन पूरी तरह से हाईटेक और वाई-फाई से लैस होगा. हर फ्लोर में आने-जाने के लिए लिफ्ट के साथ ही एस्कलेटर भी लगाए जाएंगे. भवन में सारी चीजों को कंट्रोल करने नया कंट्रोल रूम बनेगा, जिसमें चप्पे-चप्पे में लगे सीसीटीवी कैमरों से एक ही जगह से निगरानी की जा सकेगी. अफसरों के कमरे डिजिटल लॉक होंगे. यानी उनकी अनुपस्थिति में कमरे नहीं खुलेंगे.
कलेक्टोरेट में कंपोजिट बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर डॉ. रोहित यादव ने 2012 में दिया था. उनके बाद कई कलेक्टर बदल गए, लेकिन भवन बनाने का काम शुरू नहीं किया गया. कभी ड्रॉइंग-डिजाइन तो कभी तो बजट के नाम पर भवन बनाने का काम रुकता रहा. अब पहली बार लोक निर्माण विभाग ने इसका डिजाइन तैयार किया है. पहले जो डिजाइन तैयार किया गया था उसमें जिला पंचायत से लगी, रजिस्ट्री दफ्तर, कृषि विभाग की जमीन को शामिल किया गया था.
इसके लिए पुराने दफ्तरों को तोड़ा भी गया था. लेकिन नए प्रस्ताव में रजिस्ट्री विभाग के सामने, SSP दफ्तर और उसकी पीछे खाली जमीन को भी शामिल कर लिया गया. इसमें साइकिल स्टैंड, पुरानी कैंटीन और इसी दफ्तर के पीछे कृषि विभाग समेत तीन दफ्तरों की जमीन में नई कंपोजिट बिल्डिंग तैयार की जाएगी. सबसे पहले 6 करोड़ दिए अब 10 करोड़ का बजट : कलेक्टोरेट की कंपोजिट बिल्डिंग बनाने के लिए 2019 के बजट में 6 करोड़ का फंड रिजर्व किया गया था. फंड मंजूर मिलने के बावजूद कभी भी बिल्डिंग बनाने का काम शुरू नहीं किया गया. इस वजह से लागत बढ़ गई. अब 2023 के बजट में इस भवन के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है. नया बजट मंजूर होने के बाद बी PWD वालों ने भवन बनाने के काम में तेजी दिखाई है. अफसरों का दावा है कि काम शुरू होता है तो एक साल के अंदर भवन बनाकर दे दिया जाएगा.
कलेक्टोरेट के अधिकतर विभाग अभी अलग-अलग भवनों में संचालित हो रहे हैं. इसमें प्रमुख रूप से तहसील, जिला उद्योग भवन, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला कोषालय, श्रम विभाग, सीएमओ दफ्तर समेत कई विभाग शामिल हैं. नए भवन के लिए पीडब्ल्यूडी ने ऑटो लेवल मशीन से फिलिंग कटिंग की रिपोर्ट तैयार कर ली है. नए भवन का डीपीआर बनाने का काम एक निजी कंपनी को दे दिया गया है. दावा किया जा रहा है कि कंपनी ने इसका डिजाइन तैयार कर लिया है.