सोने की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. इसके बावजूद सर्राफा बाजार में लोगों की भीड़ है. त्योहारों के साथ ही शादी का सीजन होने से लोग ज्वेलरी खरीदने पहुंच रहे हैं. पिछले 5 सालों के आंकड़ों को देखे तो सोने की कीमत में दुगुनी बढ़ोत्तरी हुई है. ऐसे में गोल्ड में निवेश करना भी लोगों की पहली पसंद बन गया है.
सोने की कीमतों पर गौर करें तो पिछले साल 2022 की दिवाली में भाव 53 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम था, लेकिन आज बढ़कर 63 हजार 500 रुपए पहुंच गया है. एक साल में ही सोने की कीमतों में 10,500 रुपए का उछाल आया है. पिछले सप्ताह ही सोना स्टैंडर्ड 750 रुपए प्रति 10 ग्राम की बढ़त के साथ बिका है.
सर्राफा कारोबारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में सोने और चांदी के भाव में लगातार तेजी बनी हुई है. अगर ऐसी ही स्थिति रही तो इस सप्ताह सोने के भाव और बढ़ सकते हैं. वहीं चांदी की कीमत में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. सोमवार जहां चांदी की कीमत 74000 प्रति किलो थी तो वही शनिवार को 75000 प्रति किलो के भाव पर बिकी.
6 अगस्त 2020 को चांदी अपने उच्चतम कीमत 76200 रुपए प्रति किलो के भाव से बिकी थी. सर्राफा कारोबारी का कहना है कि चांदी की कीमत में भी लगातार तेजी देखी जा रही है. अगर ऐसा ही रहा तो चांदी के भाव अपने रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है. फिलहाल चांदी की कीमत अपने रिकार्ड स्तर से सिर्फ 1200 रुपए दूर है.
सोने-चांदी की कीमतों पर एक नजर ( सोना प्रति 10 ग्राम , चांदी प्रति किलो)
तारीख सोने के भाव (प्रति 10 ग्राम) चांदी के भाव (प्रति किलो)
जनवरी 2018 30200 39600
जनवरी 2019 32700 39000
जनवरी 2020 39150 46700
जनवरी 2021 51400 66400
जनवरी 2022 49500 63700
जनवरी 2023 54000 66500
जनवरी 2023 63500 75000
रायपुर सर्राफा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हरख मालू का कहना है लोगों का विश्वास सोने के प्रति कभी कम नहीं हो सकता है. यही कारण है कि भाव बढ़ने के बावजूद लोग सोने में निवेश कर रहे है. सोना कभी भी नुकसान नहीं देगा यह लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए बेहद फायदा देता है. सोना एक सुरक्षित निवेश है.
सोने की कीमत देखें तो पिछले पांच सालों में वह करीब दोगुना हो चुका है, फिर भी लोग खरीद रहे हैं. एक समय था जब शेयर मार्केट व प्रॉपर्टी के प्रति लोगों का रुझान काफी ज्यादा था, लेकिन लगातार बढ़ते रिस्क के कारण अब सोने-चांदी में ही निवेश कर रहे हैं.
पुराने जमाने के लोग भी जेवर सहेजकर रखते थे, ताकि समय पर काम आएं. आज फिर वही दिन लौट आए हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर सर्राफा में जरूर होता है, लेकिन स्थानीय लोगों को इसका फर्क इसलिए महसूस नहीं होता है, क्योंकि उन्हें मालूम है रिटर्न तो मिलना ही है. इन दिनों ऊंची कीमत के बाद भी शादी ब्याह की खरीदी से बाजार गुलजार है.