महादेव सट्टा एप में ED की जांच जारी है. इस बीच ED ने अपनी प्रेस रिलीज में बड़ा खुलासा किया. ED के मुताबिक, सट्टा एप की आय को शेयर में निवेश कर वैध बनाया जा रहा था. इसमें 29 फरवरी तक भारतीय और विदेशी कंपनियों का कुल स्टॉक पोर्टफोलियो करीब 1190 करोड़ रुपए पाया गया है.
ED के मुताबिक, सूरज चोखानी और गिरीश तलरेजा ने हिरासत में पूछताछ के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा किया है. ED महादेव और उसकी सहयोगी बैटिंग कंपनियों की जांच कर रही है. इसमें इन दोनों आरोपियों के अलावा 9 और आरोपियों को पकड़ा गया है.
ED ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर जांच शुरू की. इसके बाद, विशाखापत्तनम पुलिस और अन्य राज्यों द्वारा दर्ज की गई FIR को भी रिकॉर्ड पर लिया गया. मेसर्स महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप एक व्यापक सिंडिकेट है. इसके अंदर कई अवैध सट्टेबाजी वेबसाइट आते हैं. जिसमें नए उपयोगकर्ताओं को रजिस्टर कर ID बनाने की व्यवस्था की जाती है.
गिरीश तलरेजा लोटस 365 के अवैध संचालन में रतन लाल जैन उर्फ अमन और सौरभ चंद्राकर के साथ भागीदार है. गिरीश तलरेजा को लोटस 365 की आय को वैध बनाने में सक्रिय भूमिका निभाते हुए पाया गया. PMLa, 2002 की धारा 17 के तहत 1 मार्च को कोलकाता, हरियाणा, दिल्ली, एमपी, महाराष्ट्र और गोवा में कई स्थानों पर जांच की गई. इस जांच में पुणे, महाराष्ट्र से संचालित होने वाली लोटस 365 की शाखाएं भी शामिल थीं.
जांच में पता चला कि इस शाखा द्वारा प्रति महीने 50 करोड़ का सट्टा कैश संभाला जा रहा था. गिरीश तलरेजा को इस शाखा के “कैश हैंडलिंग व्हाट्सएप ग्रुप” के सदस्यों में से भी एक पाया गया. तलाशी के बाद 1 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए थे.
इसके अलावा बेनामी बैंक खातों के माध्यम से धन की हेराफेरी करने में भी सक्षम बनाने के लिए महादेव एप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की व्यवस्था करता है. ED की जांच से पता चला कि गिरीश तलरेजा की “लोटस365” के संचालन में हिस्सेदारी है. “लोटस365” महादेव ऑनलाइन बुक की ही सहयोगी कंपनी है.
ED की जांच में यह भी पता चला है कि हरि शंकर टिबरेवाल भी महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटरों के साथ जुड़ा था. सट्टेबाजी वेबसाइट “स्काई एक्सचेंज” के अवैध संचालन के लिए उसकी साझेदारी थी. हरि शंकर टिबरेवाल ने भारत और भारत के बाहर संचालित कई कंपनियों के माध्यम से सट्टेबाजी संचालन से उत्पन्न अपराध की आय को वैध बनाया था.
हरि शंकर टिबरेवाल ने भारतीय कंपनियों के लिए शेयर निवेश की आड़ में आय को वैध बनाने और छिपाने के लिए सूरज चोखानी का इस्तेमाल किया. हरि शंकर टिबरेवाल के सहयोगियों के नियंत्रण वाली भारतीय कंपनियों के पास 29 फरवरी तक के मुताबिक 580 करोड़ रुपए का स्टॉक पोर्टफोलियो रखा है.
वहीं विदेशी संस्थाओं ने भी FPI के जरिए भारत में निवेश किया. उनका भी स्टॉक पोर्टफोलियो 606 करोड़ पाया गया है. यानी कुल मिलाकर 1180 करोड़ से ज्यादा का स्टॉक पोर्टफोलियो इन कंपनियों के पास है.
कोलकाता में तलाशी से यह भी पता चला कि हरि शंकर टिबरेवाल कंपनियों के प्रमोटरों के साथ मिलकर शेयर बाजार में हेरफेर में भी शामिल थे. हरि शंकर टिबरेवाल अपनी विशाल पूंजी का उपयोग कर शेयर की कीमतों में अस्थायी उतार-चढ़ाव पैदा करते थे. उन्हें ऊपर की ओर ले जाते थे, और फिर धन निकाल लेते थे.
4 मार्च को इस महादेव सट्टा एप को लेकर गोवा में भी तलाशी ली गई थी. यहां एक प्रमुख पैनल ऑपरेटर को लेकर खोज की गई थी. यह पैनल ऑपरेटर एक और सट्टेबाजी बुक के लॉन्च के लिए गोवा में था. इसके अलावा पैनल संचालक के कब्जे से 48 लाख रुपए नकद मिले. इस मामले में, तलाशी के दौरान चल संपत्ति कुल रु. 1764.5 करोड़ रुपए जब्त/जमा किए गए हैं.
गिरफ्तार आरोपी गिरीश तलरेजा और सूरज चोखानी फिलहाल 11 मार्च तक 7 दिनों के लिए ED हिरासत में भेज दिया गया है. इन दोनों के अलावा इस मामले में 9 आरोपियों को पहले ही पकड़ा जा चुका है.