रायपुर नगर निगम में हुए 50 करोड़ के यूनिपोल घोटाले की जांच की रफ्तार काफी धीमे से चल रही है. पिछले करीब एक महीने से महापौर की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी मामले की जांच कर रही है. जांच की रफ्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शासन ने जिन तीन जिम्मेदार अफसरों का तबादला किया है, उनसे और यूनिपोल लगाने वाली एजेंसी के संचालकों से अब तक पूछताछ नहीं की गई है. जांच कमेटी ने 17 जांच बिंदुओं पर अफसरों से जवाब मांगा था, जिसका जवाब भी संतोषजनक नहीं है. महापौर एजाज ढेबर खुद ही संतुष्ट नहीं है. वहीं जांच कमेटी ने वर्तमान निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी समेत पूर्व आयुक्त रहे IAS सौरभ कुमार, प्रभात मलिक से भी यूनिपोल घोटाले के संबंध में पूछताछ की तैयारी है.
यूनिपोल घोटाला सामने आने के बाद जहां अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी समेत नगर निवेशक के पद पर 5 सालों से कार्यरत कार्यपालन अभियंता बीआर अग्रवाल और सहायक अभियंता आभास मिश्रा का तबादला करने के साथ ही नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा गठित जांच समिति से घोटाले की जांच कराई जा रही है, वहीं महापौर की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी भी जांच कर रही है. हालांकि विभागीय समिति की जांच रिपोर्ट का निगम प्रशासन को इंतजार है.
नगर निगम के जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों के बीच इस बात का जिक्र भी बार-बार हो रहा है कि जिस 50 करोड़ के राजस्व के नुकसान की बात महापौर ने स्वीकारी है, उसकी भरपाई कैसे होगी? क्या एड एजेंसी से वसूली की जायेगी और नहीं तो क्या लगे हुए यूनिपोल उखाड़े जायेंगे या जब्ती दिखाई जायेगी? इसे लेकर विपक्ष भी सवाल उठाने लगा है. अभी तक केवल अधिकारियों का तबादला भर हुआ है, उसमें भी क्या वे मूल विभाग में वापस भेज दिए गए, जिम्मेदार लोगों के लिए यह पर्याप्त दंड नहीं माना जा रहा है.
इस बीच नगरीय प्रशासन विभाग को यूनिपोल से संबंधित सारे दस्तावेज सौंप दिए गए हैं, जब पूरे दस्तावेज के आधार पर जांच का काम पूरा होगा तो वास्वतिक नुकसान का भी पता चलेगा. निगम के कुछ पार्षद सवाल कर रहे हैं कि क्या कंपनी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता, जिसके कहने पर अधिकारियों ने काम मंजूर किए थे. महापौर एजाज ढेबर ने जिस प्रकार घोटाले का भंडाफोड़ कर सख्ती दिखाई है और रूचि ले भी रहे हैं माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ठोस कार्रवाई जरूर होगी.
यूनिपोल घोटाले की जांच शुरू होते ही विज्ञापन एजेंसियों के संचालक समेत इससे जुड़े लोग सहमे हुए हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलेक्ट्रेट चौक और शास्त्री चौक के पास लगे दो यूनिपोल से विज्ञापन हटा दिया गया है. बताया जा रहा है कि दोनों यूनिपोल नियमों का उल्लंघन करते लगाए गए हैं. ये जांच की जद में न आ जाएं, इस डर से एजेंसियों ने विज्ञापन हटा दिया है. अब यूनीपोल को भी हटाने की चर्चा गरम है.
यूनिपोल घोटाला जांच कमेटी के संयोजक श्री कुमार मेनन का कहना है कि यूनिपोल लगाने वाली एजेंसी को फायदा पहुंचाकर निगम के राजस्व को नुकसान पहुंचाने का आरोप है. जांच कमेटी अभी प्रारंभिक तौर पर घोटाले की जांच कर रही है. कमेटी ने 17 बिंदुओं पर निगम के अफसरों से जवाब मांगा था, जो अस्पष्ट मिला है, उनके जवाब प्रतिपरीक्षण कर अंतिम रिपोर्ट तैयार की जा रही है. जिम्मेदार एजेंसी संचालकों के साथ ही वर्तमान और पूर्व आयुक्तों के साथ ही अधिकारियों से भी इस प्रकरण की जानकारी ले रहे है.