पं. रविशंकर विश्वविद्यालय से जुड़े 150 से ज्यादा काॅलेजों में तीन साल बाद इस बार ऑफलाइन परीक्षा हुई यानी छात्रों ने कोरोना से पहले की तरह सेंटर में जाकर परीक्षा दी. अब नतीजे आ रहे हैं और पूरा रविवि प्रशासन तथा काॅलेज इन्हें देखकर सकते में हैं.
दरअसल, इस बार 1700 परीक्षार्थी ऐसे हैं, जिन्हें किसी ना किसी विषय में जीरो यानी शून्य अंक मिले हैं. आंसरशीट में छात्रों ने अजीबोगरीब ज्ञान उड़ेला है, इसलिए जांचकर्ताओं को शून्य अंक देने पर विवश होना पड़ा. जैसे, ग्रेजुएशन के एक छात्र ने लिखा कि महात्मा गांधी ने 1857 की लड़ाई में हिस्सा लिया, जबकि उनका जन्म ही 1869 में हुआ था.
बाॅटनी के पेपर में चाय का साइंटिफिक नाम पूछा गया तो एक छात्र ने लिखा-चाय तीन तरह की होती है. एक दूध से बनती है. एक ब्लैक टी है और एक ग्रीन टी. इसमें ग्रीन टी सेहत के लिए अच्छी है. रविवि से जुड़े शिक्षाविदों का मानना है कि पहली बार इतने छात्रों को जीरो मिला है, जिसे देखकर वे भी हैरान हैं. दरअसल, कोरोना काल में छात्रों ने घर में बैठकर और बुक देखकर आराम से आंसरशीट लिखी और तगड़े नंबर पाए. तीन साल ऑनलाइन देने के बाद रविवि में वार्षिक परीक्षा इस बार ऑफलाइन मोड में हुई.
करीब 1.5 लाख छात्रों ने केंद्र में परीक्षा दी, जिसका असर रिजल्ट पर नजर आने लगा है. बीए, बीकॉम, बीएससी, बीसीए जैसे ग्रेजुएशन कोर्स में आधे से ज्यादा छात्र फेल हुए हैं. पीजी में भी फेल होने वालों की संख्या ज्यादा है. जबकि पिछले साल ऑनलाइन परीक्षा में यूजी व पीजी, दोनों कक्षाओं में 95% छात्र पास हुए थे और ज्यादातर फर्स्ट डिवीजन थे.
विषय जिनमें परीक्षार्थियों को सबसे ज्यादा शून्य मिले
- बीए : अर्थशास्त्र, पर्यावरण अध्ययन, अंग्रेजी, हिंदी, इतिहास, पॉलिटिकल साइंस, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र.
- बीकॉम : कंप्यूटर एप्लीकेशन, पर्यावरण, हिंदी, एकाउंटिंग, बिजनेस मैनेजमेंट, एप्लाइड इकोनोमिक्स, इनकम टैक्स.
- बीसीए : कम्यूनिकेशन स्किल, कंप्यूटर फंडामेंटल, मैथ, सॉफ्टवेयर एंड मल्टीमीडिया, प्रोग्रामिंग सी लैंग्वेज, ई-कामर्स.
- बीएससी : बॉटनी, कंप्यूटर साइंस, केमिस्ट्री, इंग्लिश, मैथ्स, फिजिक्स, जूलॉजी, हिंदी, माइक्रोबायोलॉजी.
- एमए इंग्लिश : ड्रामा, फिक्शन, लैग्वेज एंड कम्युनिकेशन स्किल, पोएट्री, प्रोस, अमेरिकन लिटरेचर, क्रिटिकल थ्योरी.
- एमए हिंदी : आधुनिक गद्य साहित्य, आधुनिक काव्य, आधुनिक साहित्य का इतिहास, प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य.
कई काॅलेजों के दर्जनभर से ज्यादा प्रोफेसरों से बात की गई, जिन्होंने सैकड़ों आंसरशीट जांची हैं. उनका कहना है कि छात्रों की लिखने की क्षमता बिलकुल कम हो गई है. यही नहीं, सवाल कुछ पूछा गया है और जवाब कुछ लिख रहे हैं. मनगढ़ंत कहानियां लिखी हैं, कुछ भी लिखकर निकल गए हैं. इन्हें जीरो नहीं देते तो और क्या देते?
- ऑडिटिंग का एक आंसर: मैं परीक्षा देने घर से निकला हूं, पर इच्छा नहीं क्योंकि ब्रेकअप हो गया है… फिर ब्रेकअप की स्टोरी.
- बीकॉम के एक छात्र ने स्थानीय राजनीति के बारे में लिखा: मैं पार्षद के यहां आता-जाता रहता हूं. उससे मेरा अच्छा संबंध है.
- बीकाॅम के एक छात्र ने लिखा: मेरा रिजल्ट आएगा और पास हो जाऊंगा तो आपका कल्याण होगा. नहीं तो परिणाम भुगतने होंगे.
- बीए फर्स्ट ईयर राजनीतिशास्त्र के पर्चे संविधान की विशेषता पर पूरा गीत लिखा जिसका मुखड़ा है…वो खिड़की जो बंद रहती है.
रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ शैलेंद्र पटेल ने बताया कि, वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट काफी कमजोर रहा. सैकड़ों छात्रों को शून्य नंबर मिलने की बात आई है. हालांकि कुछ छात्रों ने शिकायत की कि बहुत अच्छा लिखा था, फिर भी जीरो दे दिया. इनकी काॅपियों की रेंडम जांच कर रहे हैं.