सतनामी समाज के धर्म गुरु बालदास और उनके बेटे खुशवंत दास समेत सतनामी समाज के तीन धर्म गुरूओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी प्रभारी ओम माथुर ने उन्हें सदस्यता दिलाई, साथ ही पूर्व CM रमन सिंह ने भी उन्हें बीजेपी का गमछा पहनाया. बीजेपी प्रवेश के साथ ही गुरु बाल दास ने अपने बेटे के लिए आरंग सीट से टिकट की दावेदारी भी पेश कर दी है.
गुरु बालदास और खुशवंत दास के साथ गुरु आसंभ दास, द्वारिका दास और सौरभ दास ने भी बीजेपी की सदस्यता ली है. इसके अलावा नगर पालिका अध्यक्ष देवराज जांगड़े, जनपद सदस्य दिनेश्वरी टंडन और विनोद साहू को भी पार्टी में प्रवेश कराया गया. इस दौरान प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव, सांसद सुनील सोनी और बृजमोहन अग्रवाल समेत कई नेता मौजूद रहे.
इस दौरान गुरू बालदास ने कहा कि कांग्रेस में सामाजिक तौर पर बहुत उपेक्षा हुई है और भेदभाव किया गया. सामाजिक उत्थान के लिए काम नहीं हुआ और बीजेपी से सम्मान मिला तो वे इधर आ गए. इस दौरान उन्होंने बताया कि बेटे गुरु खुशवंत दास साहेब ने आरंग सीट से बीजेपी की टिकट के लिए दावेदारी की है.
2018 के चुनाव में सतनामी समाज के गुरु बालदास ने कांग्रेस के पक्ष माहौल बनाया था और एससी प्रभावित इलाके में जाकर प्रचार भी किया था. साथ ही पिछली बार भी चुनाव के ठीक पहले 2018 में अपने पुत्र खुशवंत साहेब के साथ गुरुबाल दास ने कांग्रेस प्रवेश किया था. दरअसल, छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 10 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इनमें से 7 पर कांग्रेस, दो में भाजपा और एक सीट पर बसपा के विधायक हैं.
रायपुर जिले की ये सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. राज्य बनने के बाद से हर चुनाव में आरंग का विधायक बदल जाता है. जोगी सरकार में आरंग के विधायक गंगूराम बघेल थे, जिन्हें मंत्री बनाया गया लेकिन साल 2003 में हुए चुनाव में बीजेपी के संजय ढ़ीढ़ी ने उन्हें हराया. ढ़ीढ़ी को 48,556 वोट मिले थे जबकि गंगूराम बघेल को कुल 30,112 मत मिले थे.
साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में वर्तमान सरकार में PHQ मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने संजय ढ़ीढ़ी को हराकर जीत हासिल की. रूद्र गुरु को चुनाव में 34,655 वोट मिले थे. जबकि संजय ढ़ीढ़ी को कुल 33,318 वोट मिले थे. अब आरंग सीट से गुरु बालदास के बेटे गुरु खुशवंत ने दावेदारी की है.
2013 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने यह सीट अपने नाम की और नवीन मार्कण्डेय जीतकर आए जिन्हें 59,067 वोट मिले थे. जबकि गुरु रूद्र कुमार को हार का सामना करना पड़ा, उन्हें 45,293 वोट मिले. इसके बाद साल 2018 में गुरु रूद्र कुमार आरंग की जगह अहिवारा से चुनाव लड़कर जीत हासिल की. 2008 में गुरु रुद्र कुमार आरंग से जीते जबकि 2013 में उन्हें हार मिली.
2018 में फिर से समीकरण बदले और शिव डहरिया ने आरंग से चुनाव लड़ा और बीजेपी के नवीन मार्कण्डेय को हराकर डहरिया विधायक बने और सूबे में नगरीय प्रशासन मंत्री की जिम्मेदारी मिली. शिव डहरिया ने यहां से 25,077 वोट से जीत दर्ज की थी जो अब तक की सबसे बड़ी जीत है. इससे पहले शिव डहरिया 2003 में पलारी, 2008 में बिलाईगढ़ और 2018 में आरंग से जीते. जबकि 2013 के चुनाव में वह बिलाईगढ़ सीट से हार गए थे और इस बार भी उनके आरंग से ही चुनाव लड़ने की चर्चा है.
गुरु बालदास ने 2013 में सतनाम सेना के प्रत्याशी उतारे थे. इसका नुकसान सीधे कांग्रेस को हुआ था. और कांग्रेस केवल मस्तूरी ही जीत पाई थी, वहीं भाजपा का 9 सीटों पर कब्जा हुआ था. इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता साजा से रविंद्र चौबे, कवर्धा से मोहम्मद अकबर, राजिम से अमितेश शुक्ल, लोरमी से धर्मजीत सिंह चुनाव हार गए थे.