भाजपा ने पहली बार केंद्रीय मंत्री और सांसदों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारकर सबको चौंका दिया था. अब लोकसभा में ऐसी ही तैयारी है. कुछ वरिष्ठ विधायकों को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि उन्हें लोकसभा लड़वाने की तैयारी है. यही वजह है कि मंत्रिमंडल में 50 प्रतिशत से अधिक नए चेहरे होने की संभावना जताई जा रही है.
दिल्ली के कुछ सीनियर लीडर्स का कहना तो यह भी है कि पूरा मंत्रिमंडल ही नया हो सकता है. जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा से हो गई है. 2 डिप्टी CM पहली बार विधायक बने हैं, वहीं CM भी कभी प्रदेश में मंत्री नहीं रहे हैं.
दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, सांसद अरुण साव, गोमती साय और विजय बघेल ने चुनाव लड़ा. इसमें से विजय बघेल को छोड़कर केंद्रीय मंत्री और दोनों सांसद जीतकर विधायक बन गए हैं. ये तीनों लोकसभा सीट खाली हो गई हैं, ऐसे में इन पर अनुभवी नेता को ही इस बार मैदान में उतारा जाएगा.
ये विधायक लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव
- सरगुजा- यहां से केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने पिछली बार जीत हासिल की थी. इस बार वे विधायक बन गई है. अगर उन्हें मंत्री बनाया गया तो रामविचार नेताम को यहां से चुनाव लड़वाया जा सकता है. वरना वे ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगी.
- बिलासपुर- अरुण साव यहां के सांसद थे. उपमुख्यमंत्री बनने के बाद यहां से 2024 में अमर अग्रवाल या धरमलाल कौशिक को मैदान में उतारा जा सकता है. दोनों में से किसी एक मंत्री बनाये जाने की बात चल रही है.
- रायगढ़- यहां से गोमती साय सांसद थी. अब वे विधायक बन गई है, लेकिन उनको मंत्री न बनाकर एक बार फिर इन्हें लोकसभा ही लड़वाने की तैयारी है.
- कांकेर- यहां से मोहन मंडावी सांसद हैं. अगर विक्रम उसेंडी को मंत्री नहीं बनाया गया तो उन्हें लोकसभा के मैदान में उतारा जा सकता है.
- बस्तर- यहां से कांग्रेस के दीपक बैज सांसद थे. पिछले चुनाव में बैदूराम कश्यप ने भाजपा से चुनाव लड़ा था. इस बार महेश गागड़ा को उतारा जा सकता है. केदार कश्यप को मंत्री बनाने की चर्चा है, अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन पर भी पार्टी दांव लगा सकती है.
2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 11 सीटों पर नए चेहरों को मौका देकर चौंकाया था. इनमें से 2 सीटें ही भाजपा हारी थी. लोकसभा में भी नए-पुराने चेहरों का सामंजस्य दिखेगा.