बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर टेकलगुड़ा में मंगलवार शाम को हुई मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हुए और 15 जवान घायल हैं. नक्सलियों ने हमले के दौरान जवानों पर करीब 1 हजार BGL (बैरेल ग्रेनेड लॉन्चर) और रॉकेट लॉन्चर दागे थे.
इसके अलावा AK-47, स्नाइपर, LMG, SLR जैसे आधुनिक हथियारों से भी हमला किया. पुलिस ने बुधवार को कई जिंदा BGL और रॉकेट लॉन्चर बरामद किए हैं. बताया जा रहा है कि, करीब 400 नक्सलियों ने ग्रामीण महिलाओं को आड़ बनाकर हमला किया था.
नक्सलियों को टेकलगुड़ा में जवानों के आने की खबर पहले से ही मिल गई थी. यह खबर लीक होने के बाद नक्सलियों को अपने लड़ाकों और असला-बारूद इकट्ठा करने के लिए समय मिल गया था. इसके बाद नक्सलियों ने हमले की पूरी तैयारी कर रखी थी.
जवानों की टुकड़ी जैसे ही मौके पर पहुंची, घात लगाए नक्सलियों ने हमला कर दिया. करीब 4 घंटे तक मुठभेड़ चलती रही. पुलिस ने दावा किया है कि, करीब 8 से 10 नक्सली मारे गए हैं और 20 से 30 घायल हैं. घायलों को नक्सली अपने साथ ले गए हैं.
*अब समझिए कैसे नक्सलियों ने किया हमला*
टेकलगुड़ा नक्सली कमांडर हिड़मा का गढ़ है. यहां 30 जनवरी को सैकड़ों जवान पूरी तैयारी से पहुंचे थे. CRPF, कोबरा, DRG और जिला पुलिस बल का संयुक्त कैंप बनाया गया. कुछ जवानों को जंगल की तरफ सर्चिंग के लिए भेजा गया था.
इसी बीच जंगल की तरफ से ग्रामीण महिलाएं आईं, जो गांव की तरफ जा रहीं थीं. जवान इन्हें क्रॉस कर आगे बढ़े. इनके ठीक पीछे नक्सलियों के PLGA बटालियन नंबर 1 का कमांडर बारसे देवा और उसकी टीम थी.
इसके अलावा सीआरसी नंबर-2, प्लाटून नंबर-9, प्लाटून नंबर-10 के साथ ही कोंटा और किस्टाराम एरिया कमेटी के नक्सली भी मौजूद थे. जिसको लीड कंपनी कमांडर हिड़मा कर रहा था.
ग्रामीण महिलाएं आगे बढ़ीं तो नक्सलियों ने मौका पाकर फायर कर दिया. महिलाएं दूसरी तरफ जंगल में भाग गईं. इसके बाद जवानों ने भी मोर्चा संभाला. करीब 4 घंटे तक पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ चली.
इलाके में भारी संख्या में फोर्स तैनात हैं.
साल 2021 में इसी टेकलगुड़ा में सर्चिंग पर निकले जवानों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था. उस समय भी नक्सली कमांडर हिड़मा के नेतृत्व में करीब 500 नक्सलियों ने फोर्स को घेर लिया था. दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में 23 जवानों ने शहादत दी थी, जबकि कई जवान घायल भी हुए थे. हालांकि, उस समय पुलिस को बैकफुट होना पड़ा था.
इस इलाके को समझने के लिए पुलिस को महज 3 साल का वक्त लगा. वहीं हिड़मा के घर में इस बार पुलिस ने कैंप स्थापित कर दिया तीन जवानों की शहादत तो जरूर हुई लेकिन नक्सलियों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा. फोर्स ने माओवादियों को उन्हीं के गढ़ से बैकफुट होने मजबूर किया. साथ ही यहां कैंप स्थापित कर दिया गया है. जिसमें सैकड़ों जवानों की तैनाती है. यहां कैंप स्थापित करना पुलिस के लिए बड़ी सफलता है.