पिछली कांग्रेस सरकार में ताकतवर और प्रभावशाली अफसर रहीं सौम्या चौरसिया को एक बार फिर झटका लगा है. कोयला घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने गलत तथ्य पेश करने पर उन पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. वे छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल की उप सचिव थीं.
सौम्या को 2 दिसंबर 2022 को ED ने गिरफ्तार किया था. इसके बाद से लगातार वे सेंट्रल जेल रायपुर में बंद हैं. सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका इससे पहले बिलासपुर हाईकोर्ट खारिज कर चुका है.
सौम्या चौरसिया ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका भी दायर की थी. बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि, जिन धाराओं में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वो केस उन पर बनता ही नहीं है. ED की तलाशी में सौम्या के यहां से कोई आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद नहीं हुई है. कोल परिवहन मामले से उनका कोई लिंक भी नहीं है.
याचिका में कहा गया कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक महिला को इतने अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता. उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिनकी देखभाल प्रभावित हो रही है. गुरुवार को जमानत याचिका पर जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच में सुनवाई हुई. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी, साथ ही 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी प्रर्वतन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में कथित कोयला घोटाले में 500 करोड़ रुपए अवैध उगाही को लेकर जांच शुरू की थी. जिसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया था. वसूली के लिए नियमों में बदलाव किया गया था. ED के अनुसार कांग्रेस नेता सूर्यकांत तिवारी पर सौम्या चौरसिया का हाथ था.
ED ने इस मामले में सूर्यकांत तिवारी, कोल वॉशरी संचालक सुनील अग्रवाल, IAS समीर बिश्नोई, IAS रानू साहू, सौम्या चौरसिया समेत अन्य को अलग अलग तारीख़ों पर गिरफ्तार किया था. ED का आरोप है कि ये स्कैम करीब 5 सौ करोड़ रुपए का था. इस लेव्ही से हासिल राशि से चल-अचल संपत्तियां अर्जित की गईं, जिनमें कई बेनामी भी हैं.