साल 2018 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में तीसरे मोर्चे के तौर पर उभरी JCCJ के अस्तित्व पर अब खतरा मंडराने लगा है. वहीं, BSP और AAP जैसी पार्टियां भी इस चुनाव में खासा प्रदर्शन करने में सफल नहीं हो सके. बिलासपुर जिले की 1 भी सीट पर इन पार्टियों के प्रत्याशी न तो भाजपा की जीत रोक पाए और न ही कांग्रेस के वोट पर असर डाल सके.
इस चुनाव में तखतपुर और बिलासपुर में कांग्रेस को सीट गंवानी पड़ी. वहीं, मस्तूरी में स्थानीय नेताओं की नाराजगी और लोगों के विरोध के चलते भाजपा विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी को हार का सामना करना पड़ा.
जिले की 6 सीटों में कोटा, बिल्हा, सहित कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के दावे किए जा रहे थे. वहीं, मस्तूरी में BSP के साथ ही AAP और JCCJ की एंट्री से चतुष्कोणीय मुकाबला होने का अनुमान था. ऐसे में दावे भी किए जा रहे थे कि, भाजपा-कांग्रेस के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहेगा, उन्हें आम आदमी पार्टी, बसपा जैसी पार्टियों से भी टक्कर लेनी पड़ सकती है.
लेकिन इन पार्टियों ने जो समीकरण बनाए, उसमें कामयाबी नहीं मिल पाई. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान इन दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों को जो वोट मिले थे, उन्हें देखा जाए तो ये पार्टियां चुनाव मैदान पर जरूर कूद गईं. लेकिन भाजपा और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों के अंदर भय पैदा नहीं कर सकी.
बसपा और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी किसी भी तरह से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को टक्कर देते नहीं दिखे और भीड़ को वोट में बदलने नाकाम रहे.
मस्तूरी, बिल्हा, बेलतरा और कोटा में पिछली चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. इन सभी जगहों पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी JCCJ ने भाजपा-कांग्रेस के वोटों को खासा प्रभावित किया था. यहां तक कांग्रेस के गढ़ कोटा में पार्टी की प्रत्याशी डॉ. रेणु जोगी ने जीत हासिल कर ली थी.
लेकिन, अजीत जोगी के निधन के इस पार्टी के वजूद को कायम रखने में उनके बेटे अमित जोगी नाकाम रहे. पार्टी ने जिस तरह से कांग्रेस-भाजपा के बागियों को मैदान में उतारा था. इससे संभावना जताई जा रही थी कि चुनाव में इसका असर दिखेगा. यहां तक कोटा विधानसभा में भी चार बार की विधायक रहीं डॉ. रेणु जोगी महज 8 हजार वोट पर ही सिमट कर रह गईं.
पिछली विधानसभा चुनाव में बिल्हा, बेलतरा और मस्तूरी की सीट को JCCJ ने इतना प्रभावित किया कि कांग्रेस की लहर में भी यहां त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा को जीत मिली थी. जबकि, तखतपुर में भी पार्टी के उम्मीदवार का अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला था. लेकिन, इस बार पार्टी की निष्क्रियता के चलते प्रदर्शन खराब हो गया.
बीते तीन विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें, तो मस्तूरी में BJP के वोट बैंक में लगातार इजाफा हो रहा है. साल 2003 के विधानसभा चुनाव में डॉ. बांधी को 40 हजार 485 वोट मिले थे. 2008 में BJP को 53915 वोट और साल 2013 के चुनाव में हार के बाद भी वोटों का आंकड़ा 62 हजार को पार कर गया था. BJP का वोट बैंक 2018 में 67950 हो गया.
वहीं, इस बार भाजपा ने 75356 वोट हासिल किया है. बावजूद इसके डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी को स्थानीय नेताओं और जनता की नाराजगी के चलते हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के दिलीप लहरिया 95497 वोट हासिल कर जीत गए. पिछली चुनाव में यहां JCCJ व BSP गठबंधन को 53843 वोट मिला था, जो इस बार नहीं दिखा. बसपा को इस बार 15583 वोट ही मिले. जबकि, JCCJ की चांदनी भारद्वाज भी खासा वोट हासिल करने में नाकाम रहीं.
बीते विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालें, तो आम आदमी पार्टी ने जिले की 6 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. लेकिन, सभी की जमानत जब्त हो गई थी। कोटा और बिल्हा में पार्टी को 5 हजार से कम वोट ही मिले थे. लेकिन, इस बार पार्टी के बड़े नेताओं की तैयारी को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा था कि AAP का अच्छा प्रदर्शन रहेगा. लेकिन, ऐसा नहीं हो सका.
बीते विधानसभा चुनाव में बेलतरा में जकांछ ने कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ा था. जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला. जकांछ को 38308 वोट मिले थे. कांग्रेस को सिर्फ 43342 वोट ही मिले थे. भाजपा के रजनीश सिंह को 49601 वोट मिले थे. लेकिन, इस बार भाजपा और कांग्रेस को एकतरफा वोट मिला.
हालांकि, बसपा को 15118 वोट जरूर मिले. लेकिन, जीत-हार तय करने में नाकाम रही. छत्तीसगढ़ बनने के बाद से बेलतरा BJP का गढ़ रहा है. ब्राह्मण बाहुल्य विधानसभा में सुशांत शुक्ला को जबरदस्त समर्थन मिला और उन्होंने अब तक के सर्वाधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल करने में सफल रहे.