राजधानी के दोनों सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ACI और DKS में अधूरा इलाज हो रहा है. ACI में करीब 22 साल पहले दिल का इलाज और ओपन हार्ट सर्जरी शुरू की गई थी. यहां अब तक ओपन हार्ट सर्जरी तो हो रही है, लेकिन बाइपास सर्जरी शुरू नहीं की जा सकी है. 18 जनवरी के बाद ओपन हार्ट सर्जरी पर भी संकट बादल हैं, क्योंकि इकलौते एनस्थेटिक स्पेशलिस्ट ने इस्तीफा दे दिया है.
यही हाल 5 साल पहले शुरू हुए DKS का है. यहां राज्य की सबसे बड़े डायलिसिस यूनिट है, लेकिन ट्रांसप्लांट नहीं हो रहा. जबकि किडनी और यूरोलॉजी स्पेशलिस्ट मौजूद हैं. किसी भी ऑर्गन का ट्रांसप्लांट नहीं हो रहा है क्योंकि ट्रांसप्लांट में उपयोग होने वाले इंस्टूमेंट नहीं है. अंबेडकर अस्पताल के एक हिस्से में 2002 में एस्कॉर्ट के नाम पर हार्ट सेंटर शुरू किया गया था. उस समय इसे पीपीपी मोड पर चालू किया गया था.
बाद में 2017 में सरकार ने इसे टेक ओवर किया और एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट (ACI) के नाम पर चालू किया. उसके बाद यहां दिल, फेफड़ों और खून के नशों से जुड़े गंभीर बीमारियों का इलाज तो हो रहा है, लेकिन दिल की बीमारियों में सबसे ज्यादा होने वाली बाईपास सर्जरी अब तक शुरू नहीं हो सकी. इसकी वजह से हर महीने करीब 100 मरीजों का यहां से लौटाना होता है. उन्हें एम्स रिफर किया जाता है.
लेकिन, वहां भी मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से मरीजों का मजबूरन निजी अस्पताल जाना पड़ता है. ओपन हार्ट सर्जरी तो होती है लेकिन पदस्थ एकमात्र कार्डियक एनेस्थेटिक 18 जनवरी के बाद अपनी सेवाएं नहीं देंगी. कार्डियेक एनेस्थेटिक के बिना ओपन हार्ट सर्जरी भी नहीं हो सकेगी.
अंबेडकर अस्पताल के ACI में कार्डियोलॉजी और कार्डियक सर्जरी दो विभाग हैं. कार्डियोलॉजी के तहत विदेशों में भी होने वाले ट्रीटमेंट यहां किए जा रहे हैं, लेकिन कार्डियक सर्जरी में बाईपास नहीं हो पा रही है. 2017 से 2021 तक यहां मशीन और उपकरण नहीं थे. जिसकी वजह से इलाज शुरू नहीं हो सका. 2021 में टेंडर होने के बाद मशीनें व उपकरण आए और ओपन हार्ट शुरू हुआ. अब तकनीकी स्टाफ नहीं होने की वजह से बाईपास शुरू नहीं हो सकी.
2022 में 137 लोगों के सेटअप स्वीकृत किया गया था, लेकिन भर्ती नियमों की वजह से सामान्य प्रशासन विभाग से अभी तक अनुमति नहीं मिली है. इससे स्पष्ट है कि तकनीकी स्टाफ ना होने की वजह से यहां अभी तक बाईपास सर्जरी शुरू नहीं हो सकी. इसके अलावा ओपन हार्ट सर्जरी में भी दिक्कत शुरू होने वाली है.
DKS अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी के तौर पर शुरू करने का मकसद यह था कि यहां क्रिटिकल केयर सहित 7 गंभीर बीमारियों का हर तरह का इलाज किया जा सके. यहां न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी (पेशाब), नेफ्रोलॉजी (किडनी), गेस्ट्रोलॉजी (पेट से संबंधित), बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी और क्रिटिकल केयर जैसे इलाज शुरू हुए. अस्पताल के शुरू करने के पीछे सबसे बड़ा कारण था कि बड़ी रकम खर्च होने वाले लीवर और किडनी ट्रांसप्लांट यहां शुरू किए जाएं. लेकिन पर्याप्त मशीनें अब तक नहीं मिल पाने की वजह से इसे शुरू नहीं किया गया. लीवर और किडनी का सिर्फ ट्रीटमेंट यहां हो सकता है. ट्रांसप्लांट के लिए दूसरे अस्पतालों में मरीज को जाना पड़ता है. इसी तरह किडनी की बीमारियों में सिर्फ डायलिसिस की सुविधा यहां है.
कार्डियक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. केके साहू ने कहा, पहले मशीनों की कमी थी, लेकिन तीन साल पहले ये कमी दूर हुई. स्टाफ की भर्ती अब तक शुरू नहीं हो सकी. बाईपास के लिए दक्ष एक्सपर्ट नहीं मिलते जिसकी वजह से ऑपरेशन शुरू ही नहीं किया गया.
DKS सुपर स्पेशलिटी के उप अधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा ने कहा, हमारे अस्पताल में 7 तरह की बीमारियों के इलाज होते हैं. किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट ही शुरू नहीं हुए हैं, क्योंकि इनके लिए हाई क्वालिटी मशीन की जरूरत है. हमने सरकार को एक बार फिर से अपनी मांग भेजी है.