रविवार को देशभर में विनयांजलि सभा का आयोजन कर आचार्य विद्यासागर जी महाराज को याद किया गया. इस दौरान डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ में भावी आचार्य श्री समय सागर जी महाराज भी मौजूद रहे. वहीं वैशाली नगर में विद्यासागर महाराज की प्रतिमा स्थापित करने का ऐलान विधायक ने किया है.
17-18 फरवरी की रात 2:35 बजे चंद्रगिरी तीर्थ में ही विद्यासागर जी महाराज महा समाधि में लीन हुए थे. उन्होंने मुनि समय सागर जी महाराज को आचार्य पद देने की घोषणा भी कर दी थी. इसके बाद 22 फरवरी को समय सागर जी महाराज चंद्रगिरी पहुंचे.
विद्यासागरजी महाराज की वैशाली नगर विधानसभा में भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी. विधायक रिकेश सेन ने यह घोषणा जैन समाज से चर्चा कर की है. उन्होंने कहा कि, प्रतिमा स्थल चयन कर जल्द ही प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसके आस-पास क्षेत्र को भी व्यवस्थित रूप से सजाया संवारा जाएगा ताकि लोग मुनिश्री के संदेश को आत्मसात कर उनके द्वारा दी गई शिक्षा को अपने जीवन में अपना सकें, उन पर अमल कर सकें.
रायपुर में शहीद स्मारक भवन में विनयांजलि सभा का आयोजन हुआ. यहां समाज के हर वर्ग से लोग और सभी धर्मगुरु भी पहुंचे थे. इनमें जैनमुनि के जीवन को याद करते हुए मुस्लिम धर्म गुरु ने फातिहा भी पढ़ा. कार्यक्रम में विधायक राजेश मूणत, भाजपा नेता संजय श्रीवास्तव, दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने पहुंचकर विद्यासागर जी की तस्वीर के सामने दीप जलाया उन्हें नमन किया.
आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज जी को बस्तर में भी याद करते हुए गीदम में विनयांजलि सभा आयोजित की गई. यहां विधायक चेतराम अटामी के साथ दूसरे समाज के लोग भी शामिल हुए. इसमें महेश्वरी समाज, गुप्ता समाज, क्षत्रिय समाज, आदिवासी समाज, गुमरगुड़ा आश्रम के स्वामी, ब्राह्मण समाज और व्यपारी संघ के साथ ही ड्राइवर संघ ने भी विद्यासागर महाराज को विनम्र श्रद्धांजलि दी.
आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने 17 फरवरी को छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में हुए थे ब्रह्मलीन. उन्होंने 3 दिन से उपवास धारण कर रखा था. महासमाधि में प्रवेश करने से पहले सिर्फ ‘ॐ’ शब्द कहा. सिर हल्का सा झुका और महासमाधि में लीन हो गए.
ये बात 20 साल से आखिरी क्षण तक आचार्यश्री के साथ रहे बाल ब्रह्मचारी विनय भैया ने बताई. इससे पहले 6 फरवरी को उन्होंने मुनि योग सागर जी से चर्चा करने के बाद आचार्य पद का त्याग कर दिया था. उन्होंने मुनि समय सागर जी महाराज को आचार्य पद देने की घोषणा भी कर दी थी.