रायपुर- राजस्थान में छत्तीसगढ़ की कोल माइंस की मंजूरी को लेकर सीएम विष्णुदेव साय ने साफ तौर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री के दावे को इंकार कर दिया है। ऐसे में बड़ा दिलचस्प सियासत छत्तीसगढ़ को लेकर छिड़ गई है। क्योंकि सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लगे हाथ-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े किए हैं। लेकिन सीएम विष्णुदेव दो टूक में इस बात को एक सिरे से खारिज कर दिया है कि राजस्थान को किसी तरह का हसदेव अरण्य कोल फील्ड में अनुमति दी गई है।
राजस्थान सीएम भजन लाल शर्मा ने 12 जुलाई को सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 91.21 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। सीएम भजनलाल ने इस अनुमति के लिए विष्णु देव साय का आभार जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया था।
अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने मंजूरी से इनकार कर दिया है। जब साय से मीडिया ने पूछा कि राजस्थान सीएम ने कोयला खदान को वन विभाग की मंजूरी मिलने पर धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा- ऐसा गलती से हो गया होगा उनकी तरफ से।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोनों मुख्यमंत्रियों पर सियासी पलटवार किया
छत्तीसगढ़ सीएम के इस इनकार के बाद राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोनों मुख्यमंत्रियों पर सियासी पलटवार किया है। गहलोत ने बयान जारी कर दोनों मुख्यमंत्रियों पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
गहलोत ने X पर लिखा- यह बेहद ही आश्चर्यजनक है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के बयानों में विरोधाभास है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल जी दावा करते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजस्थान के विद्युत गृहों में कोयले की आपूर्ति के लिए परसा ईस्ट और कांता बासन (पीईकेबी) कोल ब्लॉक में वनभूमि का उपयोग करने की अनुमति प्रदान कर दी है, लेकिन आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहते हैं कि ऐसी कोई बात ही नहीं है।
गहलोत ने आगे लिखा- राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता को इसकी सच्चाई बताई जानी चाहिए
गहलोत ने आगे लिखा- राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता को इसकी सच्चाई बताई जानी चाहिए। क्या दोनों मुख्यमंत्रियों को अधिकारी इस मुद्दे पर गुमराह कर रहे हैं या दोनों मुख्यमंत्री मिलकर अपने-अपने राजनीतिक हितों के अनुरूप जनता को गुमराह कर रहे हैं? बिजली जैसे जरूरी मुद्दे पर दोनों सरकारों को संवेदनशील होने की आवश्यकता है, पर इस तरह की भ्रम फैलाने वाली राजनीति से किसका भला होगा?