महावीर इंटरकांटिनेंटल सर्विस आर्गेनाइजेशन (मीसो) ने अपने 23वें वार्षिक स्किल डेवलपमेंट शिविर का आयोजन बीकानेर, राजस्थान में किया है। यह शिविर मूक-बधिर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो 28 सितंबर से 2 अक्टूबर 2024 तक डागा पैलेस, बीकानेर में आयोजित किया जाएगा। इस शिविर का आयोजन मीसो, अनाम प्रेम मुंबई, सेठ बालचंद डागा चैरिटेबल ट्रस्ट, श्रीमती लूनी देवी डागा ट्रस्ट, और हंशा गेस्ट हाऊस बीकानेर के संयुक्त प्रयासों से किया जा रहा है।
मीसो का परिचय और उद्देश्यों की दिशा में प्रयास:
मीसो, दिल्ली से राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत एक संस्था है, जिसका कार्यक्षेत्र पूरे भारत में फैला हुआ है। संस्था के उद्देश्य ‘सेवा’, ‘संस्कार’, एवं ‘स्वावलंबन’ हैं। मीसो के प्रशासनिक कार्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़ में स्थित है, और इसके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष वीर पुष्प जैन, जो पाली से पूर्व सांसद रह चुके हैं, के नेतृत्व में संस्था ने समाज सेवा के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। संस्था ने अब तक छह विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं, जो इसके प्रयासों की दिशा और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
मीसो के पास आई केयर और ईयर केयर एंबुलेंस भी हैं। आई केयर एंबुलेंस के माध्यम से रोजाना कम से कम 500 लोगों की निशुल्क आंखों की जांच की जाती है, जिनमें निशुल्क चश्मा, दवाइयाँ, और मोतियाबिंद के ऑपरेशन शामिल हैं। इसी तरह, ईयर केयर एंबुलेंस में निशुल्क बहरेपन की जांच की जाती है और जरूरतमंदों को निशुल्क कान की मशीन भी उपलब्ध कराई जाती है। स्वावलंबन के क्षेत्र में मीसो ने 41,000 से अधिक लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए हैं और इस दिशा में उसके प्रयास लगातार जारी हैं।
शिविर की विशेषताएँ और गतिविधियाँ:
इस वर्ष बीकानेर में आयोजित हो रहा यह शिविर हर साल 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक विभिन्न राज्यों में आयोजित किया जाता है। इस बार, बीकानेर में शिविर के आयोजन के पीछे गुवाहाटी के शिविर में कार्यक्रम संयोजक वीर विजय सिंह जी डागा का विशेष योगदान है, जिन्होंने इस आयोजन के लिए बीकानेर को चुना। शिविर के दौरान, देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 1000 मूक-बधिर बच्चे और उनके शिक्षक भाग लेंगे। इसमें राजस्थान के लगभग 250 बच्चे भी शामिल होंगे।
शिविर में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें नेल आर्ट, ऑर्गेनिक साबुन, हेंडवॉश, कपड़े की माला बनाना, दीये की बाती मशीन द्वारा बनाना, और अन्य 75 प्रकार की कलाएं सिखाई जाएंगी। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल बच्चों को नए कौशल सिखाते हैं, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी प्रेरित करते हैं। यह कार्यक्रम मूक-बधिर बच्चों के लिए एक अनूठा अवसर है, जिसमें वे अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं और एक बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में मीसो की पहल:
मीसो न केवल मूक-बधिर बच्चों के सशक्तिकरण की दिशा में कार्य कर रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। 1 अक्टूबर 2024 को बीकानेर जिले के गाँव मेघासर और कोलासार में मूक-बधिर बच्चों द्वारा 1000 पौधों का वृक्षारोपण किया जाएगा। इस पहल के तहत, मीसो का लक्ष्य एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना है। यह वृक्षारोपण कार्यक्रम न केवल बच्चों को प्रकृति से जोड़ता है, बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के महत्व से भी अवगत कराता है। मीसो के प्रयास यह दर्शाते हैं कि समाज सेवा के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी भी संस्था के उद्देश्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
समाज के प्रति संवेदनशीलता और सहभागिता का आह्वान:
मीसो सभी से अनुरोध करता है कि वे इस पवित्र और संवेदनशील कार्यक्रम का हिस्सा बनें और दिव्यांग बच्चों के प्रति अपनी संवेदनशीलता और समर्थन दर्शाएं। यह कार्यक्रम केवल एक शिविर नहीं है, बल्कि इन बच्चों के आत्मनिर्भर और सम्मानपूर्ण जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह एक ऐसा मंच है जहां समाज के विभिन्न वर्गों के लोग एक साथ आकर इन विशेष बच्चों के लिए एक सहायक वातावरण का निर्माण कर सकते हैं।
कार्यक्रम के संयोजक वीर विजय सिंह जी डागा और सहसंयोजक वीर संतोष बांठीया जी अपने समर्पण और सेवा भाव के साथ इस कार्यक्रम की सफलता के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं। मीसो के बीकानेर चैप्टर के सभी सदस्य और पदाधिकारी भी इस आयोजन को सफल बनाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व और सहयोग:
मीसो के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्प जैन, महासचिव लोकेश कावड़िया, और अन्य पदाधिकारी इस शिविर के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनका मानना है कि मूक-बधिर बच्चों के लिए इस प्रकार के कौशल विकास शिविर उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। इस आयोजन में सभी सहभागियों का योगदान सराहनीय है और यह मीसो के सेवा, संस्कार, और स्वावलंबन के उद्देश्यों को और अधिक मजबूती प्रदान करता है।
आशा और भविष्य की दिशा:
मीसो का यह प्रयास मूक-बधिर बच्चों के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आयोजन यह संदेश देता है कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर और सम्मान मिलना चाहिए। मीसो के इस शिविर के माध्यम से, मूक-बधिर बच्चे न केवल नए कौशल सीखेंगे, बल्कि उन्हें अपनी क्षमताओं पर विश्वास भी होगा।
संस्था की यह पहल न केवल इन बच्चों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। मीसो का उद्देश्य इन बच्चों को स्वाभिमान के साथ एक खुशहाल और आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। मीसो का यह शिविर समाज के प्रति हमारी संवेदनशीलता को दर्शाता है और यह एक सशक्त संदेश देता है कि दिव्यांगता किसी भी तरह से प्रतिभा और क्षमता को सीमित नहीं कर सकती।
इस कार्यक्रम में भाग लेकर और समर्थन करके, हम सभी इस महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा बन सकते हैं और इन विशेष बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। मीसो का यह शिविर एक उदाहरण है कि कैसे समाज की सामूहिक शक्ति और सहयोग से हम एक बेहतर और अधिक समावेशी समाज का निर्माण कर सकते हैं।